नौगढ़ में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में राजा परीक्षित पर कलयुग के प्रभाव का प्रसंग सुन श्रोता मनमुग्ध
दुर्गा मंदिर पोखरा नौगढ़ पर चल रही भागवत कथा में कथा व्यास ने कहा कि कलयुग में धन की लड़ाई चल रही है। राजा परीक्षित और शुकदेव जी में हुए संवाद का वर्णन सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में दुर्गा मंदिर पोखरा पर चल रही संगीतमय श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन बुधवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रभु महिमा का श्रवण किया।
वृंदावन से पधारे कथा व्यास गौरीश पांडे महाराज ने कहा कि राजा परीक्षित पर कलयुग का असर हो गया था, इसी के चलते ऋषि के गले में सर्प डाल दिया और उन्हें श्राप का भागी होना पड़ा। कहा कि राजा परीक्षित ने जरासंध से युद्ध के बाद जो मुकुट प्राप्त किया, उसके स्वर्ण में कलयुग का प्रभाव था। इसी कारण राजा में भी यह प्रभाव आ गया था। उन्होंने मृत सर्प ऋषि के गले में डाल दिया, जिसे देख ऋषि के पुत्र ने श्राप दे दिया था। तब राजा ने शुकदेव जी महाराज से भागवत कथा सुनी।
कथा व्यास ने कलयुग की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह बात पता चली तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है।
समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव के वहां पहुंचने पर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं।
इस कथा के दौरान भगवानदास अग्रहरि, प्रभु नारायण जायसवाल, मौलाना यादव, रामलाल केसरी, शिवनारायण जायसवाल, सुनीति रामायणी, गुड़िया, प्रियंका, गुलाब केसरी, कृष्णकांत केसरी, मनीष केसरी, विनोद यादव, अंशु शर्मा आदि मौजूद रहे।