नौगढ़ में श्री राम कथा : ताड़का वध और अहिल्या उद्धार की कथा सुन श्रद्धालु हुए विभोर
नौगढ़ में चल रही रामकथा कथा मर्मज्ञ मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने श्रद्धालुओं को राम कथा का रसपान कराते हुए सोमवार को ताड़का वध, सुबाहु और मारीच से युद्ध व अहिल्या उद्धार प्रसंग का कथा सुनाई।
नौगढ़ में श्री राम कथा
ताड़का वध और अहिल्या उद्धार की कथा सुन श्रद्धालु हुए विभोर
चंदौली जिले के चकरघटृटा थाना क्षेत्र नर्मदापुर गांव में आयोजित संगीतमय राम कथा के चौथे दिन साध्वी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब वापस अयोध्या आते हैं तो वहां विश्वामित्र का आगमन होता है। वह राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए अपने साथ ले जाते हैं। रास्ते में ताड़का राक्षसी सोई रहती है तो श्रीराम विश्वामित्र से पूछते हैं कि यह भयानक शरीर वाली कौन है तो विश्वामित्र बताते हैं कि यह ताड़का राक्षसी है जो साधु संत को पकड़ कर खा जाती है। इसलिए इसका वध करो तो श्री राम ताड़का का वध करते हैं।
जय श्री राम के उद्घोष के बीच कथा वाचिका ने शालिनी ने कहा कि असुरों का वध के बाद दोनों भाई गुरु के साथ मिथिला के राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे तो, उन्हें रास्ते में एक आश्रम मिला। जहां एक विशाल पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। राम ने जब गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह गौतम ऋषि का विश्रामालय है, यह जो पत्थर देख रहे हो उनकी पत्नी अहिल्या है जो, श्राप के कारण पत्थर हो गई है। तब राम ने अहिल्या को तारना चाहा किंतु सूर्यवंशम में स्त्री को पैर से छूना मना था। राम की कृपा हुई तो पवन देव ने अपने झोंकों से प्रभु के चरणों की धूल पत्थर पर डाल दिया। चरण राज पाते ही पत्थर नारी हो गई अहिल्या को प्रकट होते ही वहां ब्रह्मा शंकर समेत अन्य देव पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे।
इस मौके पर कथा समारोह में प्रमुख रूप से व्यास अरुण कृष्ण शास्त्री, ज्ञान प्रकाश सिंह, राम अलम, मनोज पांडे, सुरेंद्र दुबे, अनिल यदुवंशी, सुरेश यादव, राम प्रसाद, पंकज जायसवाल मौजूद रहे ।