नौगढ़ में सांपों का आतंक, ओझा के मंत्र ने छीन ली मासूम अमन की जान
नौगढ़ के बोदलपुर गांव की घटना
बच्चों की जान जाने के बाद पछता रहे परिवार के लोग
काश अस्पताल पहले ले गए होते
21वीं सदी में चिकित्सा विज्ञान ने भले ही लंबी छलांग लगा ली हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास गहरी जड़ें जमाए हुए है। इसका ताज़ा उदाहरण बुधवार को नौगढ़ ब्लॉक के बोदलपुर गांव में सामने आया, जहां एक कक्षा 4 के छात्र की जान सर्पदंश के बाद इसलिए नहीं बच सकी क्योंकि परिजन पहले झाड़-फूंक में उलझे रहे और समय पर इलाज नहीं मिला।
विकास खंड नौगढ़ के बोदलपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय कक्षा 4 में पढ़ने वाला अमन रोज की तरह बुधवार को भी स्कूल गया था। दोपहर 2 बजे छुट्टी के बाद वह घर लौटा, खाना खाया और फिर दोस्तों के साथ खेत के पास पाही पर खेलने चला गया। खेलने के दौरान अचानक उसे एक जहरीले सांप ने डस लिया।
बताया जा रहा है कि सांप के काटने के बाद अमन किसी तरह दौड़कर घर पहुंचा और घर वालों को जानकारी दी। लेकिन यहां से शुरुआत हुई उस लापरवाही की, जो बाद में जानलेवा साबित हुई। घबराए परिजन अस्पताल ले जाने के बजाय गांव के कुछ लोगों के कहने पर झाड़-फूंक कराने के लिए अमन को निजी साधन से तेंदुआ गांव ले गए। वहां ओझा ने मंत्र फूंकना शुरू किया, पर अमन की हालत बिगड़ती चली गई।
अस्पताल पहुंचने तक थम चुकी थी मासूम की सांसें ..
जब स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई, तब अमन को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ लाया गया। वहां ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ. नागेंद्र पटेल ने तत्काल एंटी स्नेक वेनम का डोज लगाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। मासूम की मौत की खबर सुनते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
अमन की मौत से उसके घर में कोहराम मच गया। पिता फुलगेन यादव, मां चंदा देवी और भाई आकाश व पवन का रो-रोकर बुरा हाल था। अमन तीन भाइयों में सबसे छोटा और पढ़ाई में होशियार था। पड़ोसियों और ग्रामीणों की आंखें नम थीं। हर कोई यही कहता नजर आया — "काश अस्पताल पहले गए होते…"
घटना के बाद नौगढ़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पंचनामा भरकर शव को कब्जे में लिया गया और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया। पुलिस ने कहा कि परिजनों की ओर से कोई तहरीर नहीं दी गई है।
चंदौली समाचार की अपील, अंधविश्वास से नहीं, चिकित्सा से बचती है जान
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की चेतावनी है। समय पर इलाज होता तो अमन जिंदा होता। झाड़-फूंक, ओझा-सोखा और अंधविश्वास आज भी ग्रामीण भारत में मासूम जिंदगियां निगल रहे हैं। जरूरी है कि लोग समय पर मेडिकल उपचार लें और ऐसे मामलों में सतर्कता दिखाएं।