नौगढ़ में सांप काटने से दो मौतें, अब जागे सरकारी डॉक्टर और अफसर 

बसौली गांव की एक महिला की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले हफ्ते उसको सांप ने काटा था। परिजन उसे झाड़-फूंक कराने ले गए और अस्पताल लाने में देर हो गई।
 

झाड़-फूंक से मौतें रोकने के लिए घर-घर जाएंगी आशा बहुएं

नौगढ़ के अधीक्षक बोले–अब कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं

CHC पर एंटी वेनम की पर्याप्त डोज है मौजूद 

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में झाड़-फूंक की पुरानी परंपरा और घर वालों की जिद ने दो लोगों की जिंदगी निगल ली। जुलाई महीने में सांप के काटने के पांच मामले सामने आए, जिनमें से दो लोगों ने अस्पताल की जगह झाड़-फूंक को चुना और जान गंवा बैठे। यह सिलसिला अब नहीं चलेगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है।

आपको बता दें कि विकास खंड नौगढ़ में गांव-गांव, घर-घर लोगों को जागरूक करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भेजा जाएगा। आशा बहू को सख्त हिदायत दी गई है कि लोगों को जागरूक करें और  सांप काटने पर लोगों को सीधे अस्पताल भेजें, 

आशा नौगढ़ इलाके की आंख और कान 
 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ में बुलाई गई विशेष बैठक में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अवधेश पटेल ने आशा कार्यकर्ताओं से  कहा—आप लोग क्षेत्र की आंख और कान हैं। अगर किसी की मौत सिर्फ इसलिए होती है क्योंकि उसे अस्पताल समय पर नहीं लाया जाता, अब सिर्फ अफसोस नहीं, जवाबदेही भी तय होगी।" अधीक्षक ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त डोज मौजूद है। इलाज पूरी तरह मुफ्त है। फिर भी गांवों में झाड़-फूंक का अंधविश्वास मौत को न्यौता दे रहा है।

बसौली गांव की एक महिला की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले हफ्ते उसको सांप ने काटा था। परिजन उसे झाड़-फूंक कराने ले गए और अस्पताल लाने में देर हो गई। महिला की जान नहीं बची। यह घटना विभाग के लिए चेतावनी बनी है।

अब झाड़-फूंक नहीं, एंबुलेंस और इलाज की बात करेंगी आशाएं
सीएचसी अधीक्षक ने आशाओं से कहा कि अब हर घर में जाकर लोगों को यह बताया जाए कि झाड़-फूंक से जान नहीं बचती। अगर किसी को सांप काट ले तो घबराएं नहीं, न कोई घरेलू टोटका अपनाएं — सीधा अस्पताल लाएं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि झाड़-फूंक की परंपरा तोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका आशाओं की होगी, क्योंकि वे गांवों की महिलाओं का भरोसा हैं। विभाग की ओर से उन्हें पूरी ट्रेनिंग और सहयोग मिलेगा, लेकिन परिणाम भी चाहिए।

बैठक में यह भी तय हुआ कि सर्पदंश से बचाव को लेकर गांवों में फोल्डर, पोस्टर और ऑडियो मैसेज के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाएगा। टीकाकरण, पोषण और आयुष्मान भारत की योजनाओं के साथ अब सर्पदंश जागरूकता अभियान भी आशाओं की प्राथमिक ड्यूटी में शामिल कर दिया गया है।

फिलहाल यह साफ है कि अब स्वास्थ्य विभाग जाग चुका है। झाड़-फूंक के अंधविश्वास से लड़ने के लिए ग्राउंड पर मोर्चा संभाल लिया गया है। विभाग की नजर हर आशा की कार्रवाई पर रहेगी, और लापरवाही पर बख्शा नहीं जाएगा।