नौगढ़ में आयुष्मान आरोग्य मंदिर फेल, उपकेंद्रों पर ताला, ग्रामीण बेहाल

नौगढ़ विकास खंड नौगढ़ की 10 ग्राम पंचायतों में उपकेंद्र की स्थापना की गई थी। मकसद था कि ग्रामीणों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को गांव में ही स्वास्थ्य सुविधा मिले।
 

नौगढ़ में कागज़ों पर चल रहे हैं आयुष्मान आरोग्य मंदिर

15 अगस्त पर भी नहीं फहराया झंडा

ग्रामीणों को मजबूरी में CHC नौगढ़ का सहारा

CHO और स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी से गायब

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ क्षेत्र में स्थापित आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की हकीकत चौंकाने वाली है। ग्रामीणों के इलाज के लिए खोले गए ये उपकेंद्र कागज़ों पर तो रोज़ाना चलते दिखते हैं, लेकिन असल में हमेशा बंद रहते हैं। यहां तक कि 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्व पर भी झंडा नहीं फहराया गया। आखिर जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे?

आपको बता दें कि नौगढ़ विकास खंड नौगढ़ की 10 ग्राम पंचायतों में उपकेंद्र की स्थापना की गई थी। मकसद था कि ग्रामीणों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को गांव में ही स्वास्थ्य सुविधा मिले। लेकिन CHO और स्वास्थ्य अधिकारी ड्यूटी से लगातार गायब रहते हैं। नतीजतन लोगों को मजबूरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ का रुख करना पड़ता है। सवाल यह है कि जब व्यवस्था आरोग्य मंदिर में मौजूद है तो गर्भवती महिलाओं का प्रसव क्यों नहीं कराया जा रहा? क्या सरकारी सुविधाएं सिर्फ कागज़ों पर ही सीमित हैं?

किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को दवा और जागरूकता कब मिलेगी?

आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का उद्देश्य किशोरियों को मासिक धर्म संबंधी जानकारी देना, पैड वितरण करना और गर्भवती महिलाओं को आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड जैसी जरूरी दवाएं उपलब्ध कराना है। साथ ही ग्रामीणों का शुगर, बीपी, ब्लड प्रेशर, आंख-नाक-कान व बुखार आदि की जांच कर मुफ्त दवाएं दी जानी चाहिए। लेकिन जब उपकेंद्रों के दरवाजे ही बंद रहते हैं तो यह सारी सुविधाएं जनता तक कब और कैसे पहुंचेंगी?

जानिए कौन-कौन से CHO किस गांव में तैनात हैं 

  1.     मझगाई में कल्पना सिंह
  2.     मझगावां में सर्वजीत सिंह
  3.     चिकनी में सुशील
  4.     बरवाडीह में किरन यादव
  5.     हरियाबांध में सविता
  6.     मगरही में आलोक पांडेय
  7.     देवरी कला में चांदनी जायसवाल
  8.     परसहवां में अर्चना पाल
  9.     अमदहां में रजनी
  10.     लौवारी कला में गीता मेहता

सवाल यह है कि जब इतने स्वास्थ्य अधिकारी अलग-अलग केंद्रों पर तैनात हैं तो फिर ग्रामीणों को सुविधा क्यों नहीं मिल रही? जब सरकार मुफ्त इलाज की सुविधा दे रही है तो उसे जमीनी स्तर पर क्यों नहीं उतारा जा रहा? सरकार ने ग्रामीणों को मुफ्त जांच और दवा उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर की शुरुआत की थी। लेकिन जब ये केंद्र ताले में जकड़े रहते हैं तो सरकारी योजनाओं का लाभ जनता तक कैसे पहुंचेगा? क्या यह सीधा-सीधा ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं है?

चिकित्सा अधीक्षक डॉ अवधेश पटेल ने कहा कि अगर आयुष्मान आरोग्य मंदिर बंद पाए जाते हैं तो जांच कराई जाएगी और दोषी स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह कार्रवाई कब होगी और ग्रामीणों को राहत आखिर कब मिलेगी?