नौगढ़ में नन्हे-मुन्नों ने शिक्षक दिवस पर बाल वाटिका में बिखेरी प्रतिभा, रंग-बिरंगी प्रस्तुतियों ने जीता सबका दिल
सत्यनारायणपुर बाल वाटिका में उत्साह के साथ शिक्षक दिवस
दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना से हुआ शुभारंभ
कविता, गीत और कहानियों से गूंजा पूरा परिसर
चंदौली जिले में तहसील नौगढ़ के सत्यनारायणपुर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की बाल वाटिका में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गीत, कविता, कहानी और खेलों की प्रस्तुतियों से ऐसा उत्साह दिखाया कि पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस अवसर पर शिक्षा और संस्कृति का सुंदर संगम दिखाई दिया, जिसने अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों दोनों का दिल जीत लिया।
शैक्षणिक उत्सव का उद्घाटन खंड शिक्षा अधिकारी लालमणि कनौजिया और सीडीपीओ रामप्रवेश ने दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। बच्चों ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत गाकर शुरुआत को और भी भव्य बना दिया। अधिकारियों ने कहा कि यह आयोजन प्रदेश सरकार की गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।
बच्चों की प्रस्तुतियों से महफिल सजी
बाल वाटिका के बच्चों ने कविता पाठ, रोल प्ले, "आवाज पहचानो" खेल और नारे प्रस्तुत किए। खास आकर्षण रहा अच्छी आदतों (गुड हैबिट्स) पर मंचन, जिसने सभी का ध्यान खींचा। बच्चे आत्मविश्वास के साथ मंच पर उतरे और उनकी प्रस्तुतियों ने यह साबित किया कि सही मार्गदर्शन मिलने पर ग्रामीण क्षेत्र के नन्हें मन भी बड़े सपने गढ़ सकते हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चंद्रावती, वंदना, मीरा यादव और कलावती ने खेलकूद व गतिविधियों के जरिए बच्चों को पढ़ाई-लिखाई की ओर प्रेरित किया। मुख्य सेविका सरोज रानी ने बताया कि बच्चों को रंगों, फलों और दैनिक दिनचर्या (खाने-पीने और सोने-जागने का समय) की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि पोस्टर और खेलों के माध्यम से बच्चों को अच्छी आदतों से जोड़ना न सिर्फ मनोरंजक रहा, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास के लिए भी लाभकारी साबित हुआ।
बाल वाटिका में आयोजित उत्सव समारोह में विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य, मातृ समूह की महिलाएं और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। आंगनबाड़ी केंद्र और परिषदीय विद्यालयों के संयुक्त प्रयास से यह आयोजन शिक्षा और सामुदायिक जुड़ाव का उत्कृष्ट उदाहरण बना।
इस संबंध में सीडीपीओ रामप्रवेश ने कहा कि बच्चों की मजबूत नींव ही उनके उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। सरकार की योजना का उद्देश्य यही है कि बाल वाटिका के माध्यम से नन्हें-मुन्नों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाए और उनमें आत्मविश्वास व संस्कार की बुनियाद डाली जाए।