नौगढ़ के कन्हरा नाले में मगरमच्छ का आतंक, धूप सेकने के लिए आराम से बैठता है मगरमच्छ

नौगढ़ में कर्मनाशा नदी से भटककर कन्हरा नाले में पहुंचा मगरमच्छ प्रशासन और वन विभाग की सुस्ती का प्रतीक बन गया है। पिछले चार दिनों से यह विशालकाय मगरमच्छ बस्ती के करीब घूम रहा है, और इससे बस्ती में दहशत का माहौल है।
 

नाले में मगरमच्छ की मौजूदगी

  ग्रामीणों की रोजमर्रा के काम हो रहे प्रभावित

 धूप सेंकने के लिए नाले के बाहर आ जाता है  मगरमच्छ

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में कर्मनाशा नदी से भटककर कन्हरा नाले में पहुंचा मगरमच्छ प्रशासन और वन विभाग की सुस्ती का प्रतीक बन गया है। पिछले चार दिनों से यह विशालकाय मगरमच्छ बस्ती के करीब घूम रहा है, और इससे बस्ती में दहशत का माहौल है। मगरमच्छ की मौजूदगी ने ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी को ठप कर दिया है, जबकि वन विभाग के अधिकारी अब तक मौके पर नहीं पहुंचे हैं।


बताया जा रहा है कि मगरमच्छ धूप सेंकने के लिए नाले के किनारे आराम करता नजर आता है, जबकि लोग अपनी सुरक्षा को लेकर सहमे हुए हैं। ग्रामीण सिराजुद्दीन का कहना है, "हम चार दिन से डर के साए में जी रहे हैं। बच्चों और मवेशियों को बाहर भेजने की हिम्मत नहीं होती। हमने वन विभाग को सूचना दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।" वन विभाग से कई बार मगरमच्छ को पकड़ने की अपील के बावजूद अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। यह विभागीय सुस्ती अब लोगों के गुस्से में बदल रही है। 

लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर मगरमच्छ किसी पर हमला कर दे, तो क्या प्रशासन इसकी जिम्मेदारी लेगा? मगरमच्छ को देखने के लिए नाले के पास भीड़ जमा हो रही है। ग्रामीण और राहगीर नाले के किनारे खड़े होकर इसे देखने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे भीड़ के अनियंत्रित होने और हादसे की आशंका भी बढ़ गई है।

कर्मनाशा से आया मेहमान या खतरा? 

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मगरमच्छ कर्मनाशा नदी से भटककर आया है। बांधों में मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन प्रशासन ने उनकी निगरानी और प्रबंधन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। यह घटना वन्यजीवों और इंसानी जीवन के बीच संतुलन की विफलता को उजागर करती है। ग्रामीणों ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि अगर मगरमच्छ को जल्द नहीं पकड़ा गया, तो वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। स्थानीय निवासी का कहना है, "हम अपनी सुरक्षा के लिए मजबूर होकर खुद कदम उठाएंगे, क्योंकि प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं बची है।"

प्रशासन और वन विभाग के लिए गंभीर चुनौती


यह मामला केवल एक मगरमच्छ को पकड़ने का नहीं, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और विभागीय कार्यशैली पर उठते सवालों का है। प्रशासन और वन विभाग के पास समय कम है। उन्हें न केवल मगरमच्छ को सुरक्षित पकड़कर दूर ले जाना होगा, बल्कि बस्ती के लोगों के टूटते भरोसे को भी फिर से कायम करना होगा। यदि इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो यह घटना प्रशासन की निष्क्रियता और वन्यजीव प्रबंधन की नाकामी का प्रतीक बन जाएगी।