स्वास्थ्य सेवाओं की हालत देखनी हो तो नौगढ़ के इस गांव में दौरा कर लीजिए डीएम साहब
 

गहिला गांव में लोगों ने चंदौली समाचार को बताया कि तहसील दिवस में एसडीएम और चिकित्सा अधिकारी को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
 

गहिला गांव में आयुर्वेदिक चिकित्सालय पर लगा है महीनों से  ताला

पिछले साल मलेरिया से कांपे थे लोग

इस बार इलाज के नाम पर सन्नाटा

चंदौली जिले में नौगढ़ तहसील के गहिला गांव में आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर महीनों से ताला लटका हुआ है। सरकार की ओर से आयुर्वेदिक चिकित्सालय के रूप में स्थापित यह केंद्र अब वीरान और जर्जर हो चुका है। यहां न डॉक्टर आते हैं, न कोई स्टाफ, न ही दवा मिलती है।
सबसे चिंता की बात यह है कि पिछले साल अगस्त महीने में इसी गांव में मलेरिया के सैकड़ों केस सामने आए थे, जिस पर जिला प्रशासन को अस्थायी मेडिकल ओपीडी तक लगानी पड़ी थी।

बिहार बॉर्डर पर स्थित गहिला गांव के लोगों का कहना है “सरकारी अस्पताल के भरोसे अब हम नहीं रह सकते। छोटे बच्चों की दवा से लेकर बुखार-खांसी तक के लिए हमें या तो नौगढ़ जाना पड़ता है या प्राइवेट डॉक्टर पकड़ना होता है।” बारिश के दिनों में स्थिति और बिगड़ जाती है — पगडंडियां कीचड़ में डूब जाती हैं, मोबाइल नेटवर्क ठप हो जाता है और एम्बुलेंस तक समय पर नहीं पहुंच पाती।

बारिश और गंदगी में फिर से बढ़ सकता है मलेरिया का खतरा...

पंचायत मगरही के अन्तर्गत आने वाले सुखदेवपुर, गहिला और मगरही गांवों के कई हिस्सों में जलजमाव और कूड़ा-कचरा जमा है। अस्पताल बंद होने से न तो कोई स्वास्थ्यकर्मी गांव में पहुंच रहा है, न ही मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के उपाय हो रहे हैं। गांव के बुजुर्ग श्यामलाल कहते हैं, सरकार से बड़ी-बड़ी घोषणाएं होती हैं, लेकिन हमको इलाज नहीं मिल रहा।”

प्रधान धर्म शिला देवी ने भी उठाई आवाज, अफसरों को लिखा पत्र

पंचायत मगरही की प्रधान धर्म शिला देवी ने भी एसडीएम सहित विभागीय अफसरों को पत्र लिखकर स्थिति की जानकारी दी है और अस्पताल  को पुनः चालू कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो मलेरिया और संक्रामक बीमारियों का खतरा दोबारा गांव को घेर सकता है।

DM साहब अब आपसे है उम्मीदें  ...

गहिला गांव में लोगों ने चंदौली समाचार को बताया कि तहसील दिवस में एसडीएम और चिकित्सा अधिकारी को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।"एक बार भी निरीक्षण नहीं हुआ। सवाल उठता है कि एक ऐसा अस्पताल जो महीनों से बंद है, उसकी मॉनिटरिंग कौन कर रहा है? हम लोगों ने प्रमुख सचिव आयुष विभाग, निदेशक आयुर्वेद, और मंडलायुक्त वाराणसी तक भी लिखित शिकायत भेजी है। मांग की जा रही है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और गांव में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को तत्काल चालू किया जाए।

जब गांव में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हों, डॉक्टर और दवा गायब हों और बीमारियों का डर सिर पर मंडरा रहा हो तो सवाल उठता है कि “क्या आयुष्मान भारत सिर्फ पोस्टर और बोर्ड का नाम बनकर रह गया है?” 

लोगों का कहना है कि डीएम चंदौली अगर वास्तव में जमीनी हालात समझना चाहते हैं, तो उन्हें गहिला गांव का एक दौरा जरूर करना चाहिए। वहां की वास्तविकता, सिस्टम की लापरवाही और जनता की बेबसी सब एक ही तस्वीर में दिख जाएगी।