आपसी प्रेम और भाईचारा की सीख देता है रंगों का पर्व, ऐसे हो रही नौगढ में तैयारी
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चंदौली जिले के नक्सल क्षेत्र नौगढ़ में होली का पर्व 29 मार्च सोमवार को है, इसे लेकर अभी से तैयारी शुरू हो गई है। कल यानी रविवार को होलिका दहन को लेकर बच्चे व युवा जुटे हुए हैं। आसपास के स्थानों से लकड़ियां, गोंइठा व अनुपयोगी के सामानों को इकट्ठा करके एक ही स्थान पर रख रहे हैं। होलिका दहन के दिन इन सभी का दहन किया जाएगा।
कस्बा नौगढ़ के दो स्थानों पर होलिका दहन होता है। इसे लेकर बच्चों और युवाओं में उत्साह दिखाई पड़ रहा है।
आपको बता दें कि बसंत पंचमी के दिन अंडा पेड़ को गाड़कर होलिका दहन के लिए लकड़ियां, अनुपयोगी सामान इकट्ठा करना शुरू हो जाता है, जो कि माह भर जारी रहता है। होलिका की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद होलिका दहन किया जाता है। इस साल कोरोना महामारी के लंबे अंतराल के बाद होली का पर्व मनाया जाएगा। नक्सल क्षेत्र नौगढ़ में बच्चों और युवाओं की टोलियों को होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करते हुए देखा जा रहा है।
जिला पंचायत सदस्य sector-2 से चुनाव लड़ रहे प्रभु नारायण जायसवाल ने चंदौली समाचार को बताया कि होली का पर्व रंगों का पर्व है। यह हमें आपसी प्रेम, भाईचारा की सीख देता है। ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रहलाद का अर्थ आनंद होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रहलाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।
रंगों के त्योहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के बाद मनाया जाता है।