नौगढ़ में मनबढ़ होते जा रहे हैं भू-माफिया व कब्जेदार, जंगलों को साफ करके कर रहे हैं कब्जा
आरक्षित वन क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों का तांडव
वन विभाग को धमका रहे हैं मनबढ़
आखिर क्यों नहीं हो रहा है मुकदमा
सीएम पोर्टल पर बलराम सिंह ने की है शिकायत
चंदौली जिले में काशी वन्यजीव रामनगर प्रभाग वाराणसी के जयमोहनी रेंज में अतिक्रमणकारियों ने जंगलों पर कब्जा करने का नंगा नाच शुरू कर दिया है। अमदहां वन ब्लॉक कक्ष संख्या सात में सागौन और झाड़ियों की बेतहाशा कटाई कर भूमि पर कब्जा किया जा रहा है। जंगल के ये दुश्मन न सिर्फ पेड़ों को काट रहे हैं, बल्कि वन विभाग की टीम को धमका कर भगा भी रहे हैं।
आपको बता दें कि वन क्षेत्राधिकारी जयमोहनी मकसूद हुसैन ने 8 अक्टूबर को अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए नौगढ़ थाने में तहरीर दी थी। तहरीर में 28 लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनमें शिवदास, माधो, राकेश, रामदेव, रामसुलभ, और अन्य लोग शामिल हैं। आरोप है कि ये लोग जंगल काटकर कृषि भूमि बना रहे हैं। वन विभाग की टीम को मौके पर जाने से रोकने के लिए उन्हें दौड़ा लिया गया। इसके बावजूद, पुलिस ने अभी तक मुकदमा पंजीकृत नहीं किया है।
बताया जा रहा है कि पर्यावरण प्रेमी बलराम सिंह ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से अतिक्रमणकारी आरक्षित वन क्षेत्र को उजाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2005 और 2016 के न्यायालय आदेशों का उल्लंघन हो रहा है। वन विभाग और पुलिस न केवल मूकदर्शक बनी हुई हैं, बल्कि अतिक्रमणकारियों का साथ दे रही हैं।
बलिराम सिंह ने चंदौली समाचार को बताया कि अतिक्रमणकारी सागौन के पेड़ों और झाड़ियों को काटकर जंगल को खेती योग्य भूमि में बदल रहे हैं। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह विनाश नहीं रुका तो आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा और पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
सीओ का दावा: कार्रवाई होगी, लेकिन कब?
पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) कृष्ण मुरारी शर्मा ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। पुलिस दबिश दे रही है, लेकिन अतिक्रमणकारी फरार हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या जंगलों की आवाज सुनेगी सरकार?
वन विभाग और पुलिस की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जंगल के दुश्मनों पर कार्रवाई होगी या आरक्षित वन क्षेत्र पर कब्जे का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा? अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह अतिक्रमण पूरे क्षेत्र के पर्यावरण के लिए काल बन सकता है।
नौगढ़ के जंगलों को बचाने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है, वरना यह लड़ाई सिर्फ जंगलों की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की है।