लाॅक डाउन में नौगढ़ और चकिया के सबसे जागरूक लोग

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के नौगढ़ का ये एक ऐसा इलाका है, जहां दो दशक पहले तक भूखे-नंगे लोग सबसे ज्यादा थे। अशिक्षा और बेकारी ज्यादा थी। जागरुकता के अभाव में हर तरफ भुखमरी और कंगाली थी। अब नौगढ़ बदल गया है। इतना बदल गया है जितना बनारस और लखनऊ नहीं बदला है। कोरोना की बीमारी को
 

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चंदौली जिले के नौगढ़  का ये एक ऐसा इलाका है, जहां दो दशक पहले तक भूखे-नंगे लोग सबसे ज्यादा थे। अशिक्षा और बेकारी  ज्यादा थी। जागरुकता के अभाव में हर तरफ भुखमरी और कंगाली  थी।

अब नौगढ़ बदल गया है। इतना बदल गया है जितना बनारस और लखनऊ नहीं बदला है। कोरोना की बीमारी को लेकर जितनी जागरूकता नौगढ़ के लोगों में है उतनी शायद ही कहीं देखने को मिलेगी।

पुलिस की कड़ी चौकसी के बीच नौगढ़ के लोग कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। हर कोई फासला बनाकर चल रहा है। राशन की दुकानों और बैंकों पर लाइन तो लग रही है, लेकिन अनुशासन और सोशल डिस्टेंसिंग के दायरे में।  हर कोई एहतियात बरत रहा है। लोगों के बीच फासले बढ़ गए हैं। कोई किसी से सट नहीं रहा है।

कोविड-19 की भयावह और सर्वव्यापी आतंक से नौगढ़ सर्वाधिक अलर्ट नौगढ़ चंदौली जिले का आदिवासी बहुल इलाका नौगढ़ अब पहले की तरह अनपढ़ नहीं है। बेहद जागरूक है। जंगली इलाके में जंगल की आग की तरह कोरोना वायरस की दहशत है। इसलिए नौगढ़वासी सर्वाधिक सतर्क हैं। इनमें गजब का अनुशासन  देखने को मिल रहा है।