नौगढ़ में होगी मशरूम की खेती, मधुमक्खी पालन के लिए भी महिलाओं को दी गई जानकारी
 

 

चंदौली जिले के खंड विकास कार्यालय सभागार में बुधवार को मशरूम की खेती व मधुमक्खी पालन को जागरूकता गोष्ठी हुई। इसमें आजीविका मिशन की महिला स्वयं सहायता समूह एवं मनरेगा अंतर्गत कार्य करने वाले महिला समूहों को सीमांत कृषकों की विशेषता, अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को आय बढ़ाने के बारे में जानकारी दी गई।


कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डाक्टर एसपी सिंह ने मशरूम की खेती करने के तरीके, उत्पादन, विपणन के बारे में जागरूक किया। कहा मशरूम की खेती के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी है। एक क्विटल भूसा में 20 किलोग्राम डीएपी खाद, 20 किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम यूरिया और 20 किलो चोकर लेकर 5 दिन तक सड़ाएं। इसके बाद अपने हाथों में मल कर देखें कि उसमें से पानी ना निकले तब यह मशरूम पैदावार के लिए कारगर होगा। 5 दिन के बाद 5 किलो नीम की खली और बड़े बैगों में 4 इंच भूसा रखें। उसके बाद बीज डालें। उसे अंधेरे कमरे में रखें। यह मशरूम 55 से 60 दिन में तैयार हो जाएगी।

 एडीओ आइएसबी गुरु शरण श्रीवास्तव विकास खंड में मशरूम की खेती व मधुमक्खी पालन कर महिला समूह की आय बढ़ाने पर बल दिया। राष्ट्रीय आजीविका मिशन की महिलाएं अगर आगे आएं तो उन्हें जिले पर ले जाकर प्रशिक्षण करा कर सुविधाएं दी जाएंगी।

 गोष्ठी में सीएफपी प्रोजेक्ट आजीविका मिशन के विशेषज्ञ डाक्टर डीके त्रिपाठी ने कहा यदि कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली की ओर से मुर्गी पालन बतख पालन के लिए सूची उपलब्ध कराई जाए तो मनरेगा द्वारा लाभार्थियों को मुर्गी शेड दिया जाएगा। जिन ग्राम पंचायतों में व्यक्तिगत तालाब की खोदाई हुई है उसमें मछली की प्रजाति उपलब्ध हो जाए तो अजीविका संवर्धन रोजगार सृजन किया जा सकता है। 

डाक्टर एसपी सिंह ने कहा मुर्गी के चूजे एवं अच्छी प्रजाति के मछली बीज निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।

 राजीव गांधी प्रोजेक्ट फील्ड ऑफिसर अनीता ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा समूह के माध्यम से जुड़कर परिवार का विकास करें। निशुल्क मशरूम की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं। समूह के माध्यम से ही दोना प्लेट, सेनेटरी पैड की मशीन लेकर व्यापार शुरू करें। 

इस दौरान राजीव गांधी प्रोजेक्ट की अनिता, जीआइएस विशेषज्ञ आनंद, यतींद्र सिंह, महेश्वर गौतम, विवेक कुमार, आशीष कुमार, राजीव मौर्य सुधा, मीरा, चंद्रकला, उर्मिला, रीता, माया, गीता, बबिता, संध्या आदि मौजूद थीं।