डीएम के फैसले से लौटी गांवों में शिक्षा की रौनक, नौगढ़ के इन 6 स्कूलों का विलय रद्द
नौगढ़ के 6 विद्यालयों का नहीं होगा मर्जर
बच्चों ने स्कूल पहुंच कर मनाया जश्न
ग्राम प्रधान ने भी की थी अपनी ओर से पहल
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में परिषदीय विद्यालयों के विलय को लेकर उठे विरोध के बीच एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। खराब रास्तों, अधिक दूरी और संसाधनों की कमी जैसे कारणों से जहां पहले बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही थी, वहीं अब जिला प्रशासन ने 47 विद्यालयों के विलय आदेश को रद्द कर दिया है, जिनमें नौगढ़ क्षेत्र के छः स्कूल भी शामिल हैं।
बीएसए सचिन कुमार ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय अभिभावकों की आपत्ति और जनप्रतिनिधियों की मांगों को देखते हुए लिया गया है। इन स्कूलों में पुनः कक्षाएं शुरू करने के निर्देश परीक्षणात्मक रूप से जारी कर दिए गए हैं।
प्रधान यशवंत सिंह ने लिखा था आपत्ति पत्र, अब डीएम को दे रहे बधाई ....
लौवारी कला पंचायत के प्रधान यशवंत सिंह यादव इस पूरे मामले में शुरू से सक्रिय रहे। जब गांव के प्राथमिक विद्यालय को समायोजित (पेयर) कर बंद करने की सूचना मिली, तो उन्होंने तत्काल जिलाधिकारी और बीएसए को पत्र भेजकर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि बच्चों को 4-5 किलोमीटर दूर भेजना जोखिमपूर्ण है और इससे बालिकाओं की सुरक्षा व उपस्थिति दोनों पर असर पड़ेगा।
अब जब प्रशासन ने उनकी बातों को गंभीरता से लेते हुए स्कूलों को पुनः चालू करने का आदेश दिया, तो प्रधान ने डीएम को धन्यवाद देते हुए कहा – "यह फैसला सिर्फ स्कूल को नहीं, हमारे बच्चों के भविष्य को बचाने जैसा है। “हमारे गांव का स्कूल फिर से खुला, ये गर्व और खुशी का विषय है। डीएम साहब ने जनभावनाओं की कद्र की, इसके लिए नौगढ़ की जनता उनकी आभारी है।
नामांकन बढ़ा, छात्रों की संख्या ने बदली तस्वीर
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि विलय का निर्णय पिछले सत्र की छात्र संख्या के आधार पर लिया गया था। लेकिन 1 से 15 जुलाई तक चले विशेष नामांकन अभियान के दौरान कई बंद किए गए स्कूलों में छात्र संख्या 50 के पार हो गई, जिससे स्कूलों को दोबारा खोलना आवश्यक हो गया।
जरहर और लौवारी में बच्चों ने मनाया पढ़ाई की वापसी का जश्न .....
शुक्रवार को जैसे ही विद्यालयों के द्वार खुले, बच्चों के चेहरे खिल उठे। जरहर और लौवारी के स्कूलों में तो बच्चों ने हाथ उठाकर और तालियां बजाकर अपनी खुशी जाहिर की। चंदौली समाचार की टीम जब माध्यमिक विद्यालय जरहर पहुंची, तो छात्रों का उत्साह देखने लायक था। एबीएसए लालमणि कनौजिया ने बताया कि इन विद्यालयों का संचालन फिलहाल परीक्षणात्मक तौर पर शुरू किया गया है। स्थायी संचालन इस पर निर्भर करेगा कि बच्चों की उपस्थिति कितनी नियमित रहती है और ग्रामीण समुदाय का सहयोग कैसा मिलता है।
यह निर्णय शिक्षा की पहुंच, जनसंवाद और प्रशासनिक जिम्मेदारी की मिसाल है। नौगढ़ के इन सात गांवो में शिक्षा की लौ फिर से जल उठी है – और इसके केंद्र में है जिलाधिकारी का समय पर लिया गया संवेदनशील निर्णय।