देख लीजिए नौगढ़ के इस गांव की तस्वीर, खुलेआम हो रही है पंचायत की जमीन से मोरंग की लूट
 

घटनास्थल से ली गई तस्वीरें और वीडियो अवैध खनन के बड़े पैमाने की पुष्टि करते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि ग्राम सभा की जमीन से सैकड़ों ट्रॉली मोरंग निकालकर खुलेआम बेचा गया।
 

 एसडीएम साहब कराने को तैयार हैं जांच-पड़ताल

आखिर कौन-कौन शामिल है खनन में

क्यों नहीं पकड़े गए खनन वाले वाहन

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में पंचायत बरबसपुर में ग्राम सभा की जमीन से बड़े पैमाने पर अवैध खनन का मामला सामने आया है। आरोप है कि हल्का लेखपाल की मिलीभगत से दो जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल कर सैकड़ों ट्रॉली मोरंग निकालकर सोनभद्र में बेचा गया। इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर किया है, बल्कि राजस्व विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

प्रशासन की नाकामी या मिलीभगत ?
जेसीबी मशीन से निकाले जा रहे इस अवैध खनन की शिकायत ग्रामीणों ने एसडीएम कुंदन राज कपूर से की, एसडीएम ने राजस्व विभाग की एक टीम गठित की और मौके पर मौजूद ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त करने का निर्देश दिया। लेकिन, कार्रवाई से पहले ही हल्का लेखपाल के इशारे पर जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्रॉली को मौके से हटा दिया गया। सवाल उठता है कि प्रशासन के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ और जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी भूमिका क्यों नहीं निभाई?

सैकड़ों ट्रॉली मोरंग की चोरी, तस्वीरें बनीं गवाह
घटनास्थल से ली गई तस्वीरें और वीडियो अवैध खनन के बड़े पैमाने की पुष्टि करते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि ग्राम सभा की जमीन से सैकड़ों ट्रॉली मोरंग निकालकर खुलेआम बेचा गया। प्रशासन की निष्क्रियता और खनन माफिया के बीच इस गहरे गठजोड़ ने क्षेत्र में असंतोष को जन्म दिया है।

 अवैध खनन ने न केवल जमीन को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि विकास की संभावनाओं पर भी पानी फेर दिया है। यह जमीन, जो गांव के विकास कार्यों के लिए उपयोग होनी चाहिए थी, अब खनन माफिया के लालच की भेंट चढ़ गई है।

राजस्व विभाग पर गंभीर सवाल

1- राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंचने से पहले जेसीबी और ट्रॉली कैसे गायब हो गई ?
2-  हल्का लेखपाल की भूमिका पर अब तक जांच क्यों नहीं हुई ?
3- प्रशासन को क्या रिपोर्ट सौंपी गई, और उसमें किन तथ्यों को शामिल किया गया ?

जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे को प्रार्थना पत्र देकर गांव के लोगों ने कहा है कि यदि ऐसे अवैध मामलों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो ग्राम सभा की जमीनें धीरे-धीरे खनन माफिया के कब्जे में चली जाएंगी। यह घटना प्रशासन की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

ग्रामीणों का आरोप है कि जब तक अधिकारियों की मिलीभगत नहीं हो, इतनी बड़ी मात्रा में खनन संभव नहीं है। अब देखने वाली बात यह है कि प्रशासन दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।