नौगढ़ में एक और घोटाला : टैंकर से घर-घर पिलाया पानी, अब लगा रहा है तहसील और ब्लॉक में चक्कर
319 टैंकरों से बस्तियों तक पहुंचाया पानी
₹1.65 लाख में से केवल ₹59,000 मिला भुगतान
प्रधान–सचिव ने खाते से निकाली दुगुनी रकम
किशुन ने ₹10 के स्टांप पेपर पर हलफनामा देकर लगाई गुहार
डीएम ने बैठाई जांच, डीपीआरओ को दिए कड़े निर्देश
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में सूखा राहत योजना की हकीकत को उजागर करती यह कहानी नौगढ़ ब्लॉक के मरवटिया गांव की है। किशुन केशरी ने दिन–रात मेहनत करके घर-घर वनवासियों के बीच टैंकर से पानी पहुंचाया। लेकिन आज वह खुद भुगतान के लिए तहसील और ब्लॉक कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर है। मजेदार बात यह है कि जिस काम का मेहनताना उसे नहीं मिला, उसकी दुगुनी रकम प्रधान और सचिव ने खाते से निकालकर आपस में बांट लिया है । पीड़ित ने अब ₹10 के स्टांप पेपर पर हलफनामा देकर प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
319 टैंकरों से वनवासी बस्तियों में पहुंचाया पानी
किशुन केशरी ने वित्तीय वर्ष 2022-23, 2024-25 और 2025-26 में अपने निजी ट्रैक्टर और बोरिंग से गांवों में घर-घर जाकर पानी पहुंचाया। इस दौरान कुल 319 टैंकर सप्लाई किए गए। स्टांप पेपर पर दिए हलफनामा के अनुसार
वर्ष 2022-23 में 64 टैंकर
वर्ष 2024-25 में 150 टैंकर
वर्ष 2025-26 में 105 टैंकर
किशन ने चंदौली समाचार को बताया कि पूरा भुगतान हमारा ₹1,65,900 हुआ, लेकिन हमें काफी भाग दौड़ करने पर आज तक केवल ₹59,000 का भुगतान दिया गया है। अभी भी ₹1,06,900 का बकाया भुगतान बाकी है। वह एक साल से लगातार ब्लॉक और तहसील के चक्कर लगा रहा है। शिकायत पर शिकायत दे चुका हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है
टैंकर खराब होने पर अपने पैसे से कराई मरम्मत, प्रधान ने खाते से निकाली बड़ी रकम
गर्मी के महीने में पानी सप्लाई के दौरान जब टैंकर खराब हो गया तो किशुन ने खुद ₹4,000 खर्च कर उसकी मरम्मत कराई। लेकिन पंचायत सचिव ने इस मद में ₹45,850 खातों से निकाल लिए। यानी, मेहनत और खर्च दोनों पीड़ित पर लाद दिया गया और फायदा प्रधान–सचिव ने उठा लिया।
प्रधान–सचिव पर आरोप, पैसा आपस में बांट लिया
पीड़ित का कहना है कि प्रधान और सचिव ने सूखा राहत मद से लाखों रुपये निकाल लिए और आपस में बांट लिया। लेकिन जिसने गांव–गांव जाकर लोगों की प्यास बुझाई, उसे आज तक पूरा मेहनताना नहीं दिया गया। यह स्थिति ग्रामीण अंचल में भ्रष्टाचार की पोल खोलती है। इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी तक पहुंची। उन्होंने गंभीरता दिखाते हुए डीपीआरओ को जांच बैठाने का आदेश दिया। डीएम ने साफ कहा है कि यदि प्रधान और सचिव की गड़बड़ी पाई जाती है तो रिकवरी कराई जाए और भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
किशुन केशरी का कहना है, “गांव के हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए दिन–रात मेहनत की, लेकिन आज तक पूरा पैसा नहीं मिला। प्रधान–सचिव ने खाते से पैसा निकाल लिया, मैं ही दर–दर भटक रहा हूँ। अब तो मजबूरी में स्टांप पेपर पर हलफनामा देकर प्रशासन से गुहार लगानी पड़ी।”