शक्तिपीठ मां अमरा भवानी के दरबार में रामकथा, कथा में गूंजे जयकारे

गंगा में स्नान से शुद्धि होगी या नहीं, इसमें संदेह हो सकता है, लेकिन श्रीराम कथा में जो मनुष्य डुबकी लगा लेता है, उसका उद्धार निश्चित है। राम चरित्र धर्म, शांति, पवित्रता, मोक्ष, सुख प्रदान करने वाला अलौकिक चरित्र है।
 

चंदौली जिले के नौगढ़ में शक्तिपीठ मां अमरा भवानी के दरबार में बुधवार को श्रीरामकथा के तीसरे दिन श्रीराम का जन्म होते ही पंडाल जयकारों से गूंज उठा। बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ कथा श्रवण को नर्वदापुर गांव पहुंच रही है। कथा व्यास निरजानंद महाराज ने कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा।

कथा के बीच -बीच में संगीत मंडली भजन एवं कीर्तन प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। कथा वाचक ने कहा कि संतान की कामना लेकर राजा दशरथ अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। गुरु वशिष्ठ शृंगी ऋषि से पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते हैं। यज्ञ कुंड से प्रकट होकर अग्नि देव राजा दशरथ को खीर प्रदान करते हैं। खीर का प्रसाद ग्रहण करने से कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न पुत्र रूप में प्राप्त होते हैं। रामजन्म पर महिलाओं ने सोहर गाना शुरू कर दिया और पंडाल प्रभु श्रीराम के जयकारे से गूंजने लगा।

उन्होंने कहा कि गंगा में स्नान से शुद्धि होगी या नहीं, इसमें संदेह हो सकता है, लेकिन श्रीराम कथा में जो मनुष्य डुबकी लगा लेता है, उसका उद्धार निश्चित है। राम चरित्र धर्म, शांति, पवित्रता, मोक्ष, सुख प्रदान करने वाला अलौकिक चरित्र है। इसे आत्मसात करने से मानव जीवन का कल्याण होता है। जीवन जीने की कला हमें भगवान राम का जीवन चरित्र सिखाता है।

इस अवसर पर राम कथा समिति के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश सिंह यज्ञाचार्य अमरेश चंद्र मिश्र, आचार्य पंडित रवि शास्त्री, शिव अवलंब, राम अवलंब, अनूप पांडे, राधा शरण, सुनील यादव, भगवानदास यादव, विवेक यदुवंशी, यज्ञ नारायण द्विवेदी, दधिबल यादव आदि मौजूद रहे।