नौगढ़ तहसील में फर्जी अध्यक्ष ने मचाया खेल, एसडीएम ने डीएम को भेजी जांच रिपोर्ट
नौगढ़ तहसील में फर्जी वकालत का बड़ा आरोप
बिना परीक्षा और COP प्रमाणपत्र के वकील कर रहे प्रैक्टिस
बार एसोसिएशन अध्यक्ष पर भी उठे सवाल
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में वकालत की साख पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आरोप है कि बार एसोसिएशन का फर्जी अध्यक्ष बनकर कुछ अधिवक्ता बिना परीक्षा और सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस (COP) के अदालत में वकालत कर रहे हैं। पंचायत बोदलपुर निवासी अधिवक्ता कमला प्रसाद यादव की शिकायत पर मामले की गंभीरता देखते हुए एसडीएम विकास मित्तल ने तुरंत जांच का संज्ञान लिया और जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग को पत्र लिखकर कार्रवाई की सिफारिश की है।
परीक्षा पास किए बगैर कोर्ट में पेश हो रहे वकील ...
अधिवक्ता कमला यादव ने अपने प्रार्थना पत्र में साफ लिखा है कि रणविजय यादव, विनोद कुमार यादव, शक्तिमान यादव, बाबूलाल शर्मा, अंगद यादव और खुद को अध्यक्ष बताने वाले सत्यानंद तिवारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए तहसील अदालत में वकालतनामा पेश कर रहे हैं। जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया का आदेश (12 जून 2010) स्पष्ट करता है कि पंजीकृत अधिवक्ताओं को परीक्षा पास करके COP लेना अनिवार्य है। यह प्रमाणपत्र न होने पर किसी भी अधिवक्ता को अदालत में पेश होने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद तहसील परिसर में नियमविरुद्ध काम खुलेआम जारी है और कोई रोकटोक नहीं हो रही।
फर्जी लेटर पैड से हड़ताल, न्याय व्यवस्था चरमराई
अधिवक्ता कमला प्रसाद यादव ने यह भी कहा है कि अधिवक्ताओं का यह समूह आए दिन फर्जी लेटर पैड पर हड़ताल कर देता है। इससे न केवल वादकारी पक्ष के लोग परेशान होते हैं, बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था चरमरा जाती है। तहसील परिसर में गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार आम हो गया है। बार काउंसिल पहले ही सभी अदालतों को इस पर रोक लगाने का निर्देश दे चुका है, इसके बावजूद तहसील नौगढ़ में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दूर-दराज़ से 40 किलोमीटर पैदल और गाड़ी से सफर कर आने वाले फरियादी अदालत में न्याय की उम्मीद लेकर आते हैं, मगर अक्सर निराश होकर लौटना पड़ता है।
एसडीएम बोले – नियम तोड़ने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
एसडीएम नौगढ़ ने मामले को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें साफ कहा गया है कि बार काउंसिल के आदेशों का उल्लंघन स्पष्ट है। बिना परीक्षा और प्रमाणपत्र के अधिवक्ताओं द्वारा वकालत करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। साथ ही फर्जी अध्यक्ष और सहयोगी अधिवक्ताओं की गतिविधियों से न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जिलाधिकारी से अनुरोध किया गया है कि पूरे मामले की जांच कराकर दोषी अधिवक्ताओं पर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि तहसील में कानून का राज स्थापित हो सके।
जब पहरेदार ही नियम तोड़ें…
न्याय की रक्षा करने और जनता को भरोसा देने की जिम्मेदारी अधिवक्ताओं पर होती है। मगर जब वही अधिवक्ता परीक्षा और प्रमाणपत्र के बिना नियम तोड़ते हुए वकालत करें और खुद को फर्जी अध्यक्ष घोषित कर तहसील में खेल मचाएं, तो फिर न्याय की नींव हिलने लगती है। अब देखना होगा कि एसडीएम की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी क्या कदम उठाते हैं—सच में दोषियों पर कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी कागजों में दबकर रह जाएगा।