भागवत कथा वाशिंग मशीन है, करती है आत्मा की धुलाई 
 

नौगढ़ तहसील इलाके में चल रही कथा में हर दिन भीड़ उमड़ रही है और कथा को सराहा भी जा रहा है। इस मौके पर कथा वाचक मुनि जी महाराज ने कहा कि  श्रीमद्भागवत कथा वाशिंग मशीन है, बड़े से बड़े पापियों के आत्मा की धुलाई करके पापमुक्त कर देती है।
 

मुनि जी महाराज सुना रहे हैं संगीतमय भागवत कथा

कोईलरवा हनुमान मंदिर में चल रही है भागवत कथा

कथा के तीसरे दिन कई प्रसंगों से मोहा मन

चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील इलाके में चल रही कथा में हर दिन भीड़ उमड़ रही है और कथा को सराहा भी जा रहा है। इस मौके पर कथा वाचक मुनि जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा वाशिंग मशीन है, बड़े से बड़े पापियों के आत्मा की धुलाई करके पापमुक्त कर देती है। जो व्यक्ति भागवत कथा आत्मसात कर लेता है, वह सांसारिक दुखों से मुक्त हो जाता है। 


कोईलरवा हनुमान मंदिर परिसर में  चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को अयोध्या से पधारे कथावाचक श्री मुनिजी महाराज ने श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कई शानदार जानकारियां दीं। 
 

कथावाचक ने 'हमारे साथ है रघुनाथ तो किस बात की चिंता' मधुर संगीत के बीच कहा कि जीवन में यदि मान, बड़ा पद या प्रतिष्ठा मिल जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए, लेकिन यदि उसका जीवन में किंचित मात्र भी अभिमान हुआ तो वह पाप का भागीदार बना देता है। कहा कि अहंकार से भरे राजा परीक्षित ने जंगल में साधना कर रहे शमीक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। परिणामस्वरूप राजा परीक्षित को एक सप्ताह में मृत्यु का शाप मिला। जब परीक्षित ने अपने सिर से स्वर्ण मुकुट को उतारा तो उन पर से कलियुग का प्रभाव समाप्त हो गया और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 


कथावाचक ने कहा कि जब जब भगवान के भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते हैं। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। उन्होंने विदुर जी का चरित्र समेत महाभारत के कई प्रसंग भी सुनाए। कथावाचक ने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण करता है भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। 


इस दौरान महंत श्री श्री 108 स्वामी रामदास त्यागी महाराज, राजेंद्र यादव (बाबा) श्याम जी धर, अंबिका सोनी, यशवंत सिंह यादव (प्रधान), चिरौंजी जायसवाल नगीना केसरी व बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।