चकिया में निर्णायक होते हैं वैश्य व मुस्लिम समुदाय के साथ सवर्ण मतदाता, दावेदार कर रहे गणेश परिक्रमा
 

कुछ राजनीतिक दल निर्णायक भूमिका वाले मतदाताओं की संख्या को देखते हुए उसी जाति के लोगों को टिकट देने की योजना बना रहे हैं, तो वहीं कुछ दल ऐसे चेहरे की तलाश कर रहे हैं जो सभी जातियों व वर्गों में  स्वीकार हो।
 

चकिया में दलित मतदाताओं का भी है बड़ा रोल

कई नेता अपनी बीवी के लिए मांगने लगे टिकट

महिला राजनेताओं ने भी ठोंकी है दावेदारी

चंदौली जिले में नगर पंचायत के चुनाव का शंखनाद अभी नहीं हुआ है, लेकिन आरक्षण सूची जारी होने के बाद से ही नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं में दावेदार सक्रिय हो गए हैं। आरक्षण सूची जारी होने के बाद से लगभग अब यह तय हो गया है कि किस सीट पर किस जाति के उम्मीदवार की तगड़ी दावेदारी होगी। साथ ही कौनसी सीट किसके लिए सुरक्षित रहेगी। वहीं सामान्य सीट पर भी दावेदारों की कतार लगती नजर आ रही है।

जहां तक नगर पंचायत चकिया की बात करें तो यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई है और ऐसे में विभिन्न दलों के टिकट मांगने वाले दावेदारों की एक लंबी लिस्ट बनती जा रही है। हर नेता अपनी पत्नी के लिए जुगाड़ लगाने लगा है। वहीं पार्टी के लिए काम करने वाली महिलाओं ने अपनी दावेदारी जतानी शुरू कर दी है। चुनाव जीतने की आशा पालने वाले लोग निर्णायक भूमिका निभाने वाले मतदाताओं और जातियों पर अपना फोकस बनाकर गुपचुप तरीके से जनसंपर्क करने का काम शुरू कर दिए हैं।

कुछ राजनीतिक दल निर्णायक भूमिका वाले मतदाताओं की संख्या को देखते हुए उसी जाति के लोगों को टिकट देने की योजना बना रहे हैं, तो वहीं कुछ दल ऐसे चेहरे की तलाश कर रहे हैं जो सभी जातियों व वर्गों में  स्वीकार हो।

नगर पंचायत चकिया की बात की जाए तो वहां पर कुल 12 वार्ड हैं, जहां पर 14301 मतदाता हैं। कहा जाता है कि चकिया नगर पंचायत में मुस्लिम और वैश्य समाज के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है और इन्हें नगर पंचायत में निर्णायक मतदाता माना जाता है। लेकिन नगर पंचायत के चुनाव में चौहान, सोनकर, बिंद, प्रजापति, राजभर, यादव, विश्वकर्मा, के साथ साथ दलित मतदाताओं का बड़ा रोल होता है। इसके अलावा सवर्ण मतदाताओं का समर्थन भी यह तय करता है कि जीत किसकी होगी।

कहा जाता है कि जो पिछली जाति का नेता सवर्ण में स्वीकार्य हो या जिस सवर्ण नेता की दलित व पिछड़ी में पहचान हो वह आसानी से चुनाव जीत लेता है। कहा जाता है कि अगर कोई मजबूत दावेदार इनको नजरंदाज करता है तो वह चुनाव में जीत हासिल करने में असफल रहेगा। इसीलिए हार जीत में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों को रिझाने के लिए संभावित दावेदार उनके घरों से संपर्क कर रहे हैं और मतदाताओं को रिझाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे भी अपनाने की योजना बना रहे हैं।

बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी से टिकट लेने वालों में सबसे दमदार दावेदार अर्चना श्रीवास्तव का माना जा रहा है। पति गौरव श्रीवास्तव के सामाजिक कार्यों के बदौलत अर्चना श्रीवास्तव को टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है। वहीं भाजपा के महिला मोर्चा की जिला महामंत्री सुषमा जायसवाल टिकट लेने वालों में अपने ठोस दावेदारी कर रही हैं। इसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पिछली बार चुनाव लड़ चुके राजकुमार जायसवाल की पत्नी चंदा जायसवाल भी अपनी दावेदारी को लेकर ताल ठोक रहे हैं।


हालांकि पिछली बार राजकुमार जायसवाल निर्दल प्रत्याशी रहे अशोक कुमार बागी से चुनाव हार गए थे। वहीं पार्टी संगठन में अपना विशेष योगदान देने वाले कैलाश जायसवाल की पत्नी आरती जयसवाल भी टिकट लेने वालों की होड़ में शामिल है। चकिया नगर पंचायत में अगर भारतीय जनता पार्टी के महिला कार्यकर्ताओं में नाम आता है तो उसमें दिव्या जायसवाल का नाम वरिष्ठ महिला कार्यकर्ताओं में लिया जाता है। वहीं स्वर्गीय अचल जायसवाल की पत्नी पूजा जायसवाल भी अपने ठोस दावेदारी के लिए पार्टी में टिकट लेने वालों में लगी हुई है।

 चकिया नगर पंचायत में विकास कार्यों के लिए अशोक कुमार बागी का नाम बड़े सम्मानजनक रूप से लिया जाता है। नगर पंचायत अध्यक्ष रहते हुए करोना काल में उनकी मौत हो जाने के बाद उनकी पत्नी मीरा जायसवाल लगातार समाजवादी पार्टी के सक्रिय राजनीति में लगी हुई है। यह पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी है। देखा जाए तो सपा में इनकी प्रबल दावेदारी देखी जा रही है।

इसके अलावा पार्टी में पूर्व चेयरमैन रह चुकी रीता चौबे भी टिकट लेने के लिए एड़ी चोटी एक लगा रही हैं। तो वही भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर समाजवादी पार्टी में पिछले वर्षों से लगातार सक्रियता दिखा रहे रमेश गुप्ता की पत्नी सुशीला गुप्ता भी चुनावी समर में उतरने के लिए टिकट पाने वालों की होड में शामिल हैं, तो वही समाजवादी पार्टी के जिला महामंत्री राकेश मोदनवाल की पत्नी सरिता देवी भी टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रही हैं। पार्टी के लिए पिछले वर्षों से काफी मेहनत कर रहे अजय गुप्ता की पत्नी किरण गुप्ता भी समाजवादी के टिकट के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही हैं।