जिला पंचायत की कुर्सी के लिए होगा यह नया खेल, कोई ड्राइवर तो कोई नौकर के सहारे कर सकता है राज..!
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चंदौली के जिला बनने के बाद से लेकर अब तक हुए पांच जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों में चार बार चकिया तहसील के दिग्गजों का कब्जा रहा है। इसमें चकिया विकास खंड के जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से दो और शहाबगंज विकास खंड के जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से एक जबकि शहाबगंज निवासी चंदौली के जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से निर्वाचित एक दिग्गज जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहे हैं।
जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर पहला चुनाव उस समय हुआ था जब चंदौली जिला वाराणसी जिले से अलग होकर नया जिला बना था। चकिया के सेक्टर नंबर एक से निर्वाचित सुषमा पटेल पहली बार अध्यक्ष पद पर काबिज हुईं। यह चुनाव 1999 में हुआ था। जिसमें पहली महिला जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं।
वर्ष 2001 में चकिया सेक्टर नंबर एक से निर्वाचित पूनम सोनकर ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी। यह तत्कालीन विधायक व सपा नेता स्व. सत्य प्रकाश सोनकर की पत्नी हैं।
वर्ष 2006 में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सकलडीहा तहसील क्षेत्र से निर्वाचित अमलावती यादव निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन तो गयीं और अपना कार्यकाल पूरा किया ।
इसके बाद 2011 में हुए चुनाव में चंदौली के जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से चुने गए शहाबगंज के तियरी गांव निवासी छत्रबली सिंह ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की।
तब से यह कुर्सी येन केन प्रकारेण छत्रबली सिंह के परिवार के पास है। वर्ष 2016 में हुए चुनाव में शहाबगंज जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र सेक्टर नंबर एक से जीती सरिता सिंह ने सुशील सिंह की पत्नी किरन सिंह को हराकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।
वर्ष 2021 में होने वाले चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए जिले के तमाम दिग्गजों ने मंथन शुरू कर दी है। कुछ अपने ड्राइवर तो कुछ लोग अपने कर्मचारी तो कोई अपने खासमखास पिछड़ी जाति के कंडीडेट को खोज लिया है और उसे मैदान में उतार कर पहले तो जीत दिलाने की कोशिश करेंगे फिर बैकडोर से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने की जोरदार कोशिश होगी।