62 वर्षों में पहली बार रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट से महिला उम्मीदवार

रिंकी कोल को टिकट देकर पार्टी ने जहां सांसद से असंतुष्ट खेमे को साधा है तो दूसरी ओर कोल वोटों को सहेजे रखने का भी प्रयास किया है।
 

अपना दल-एस ने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को दिया टिकट

परिवार में ही प्रत्याशी से कोल वोटों को सहेजे रखने का भी किया प्रयास

सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर एनडीए गठबंधन से प्रत्याशी को लेकर बना सस्पेंस मंगलवार को खत्म हो गया। इस सीट पर अपना दल-एस ने रिंकी कोल को उम्मीदवार बनाया है। वह मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल कोल की बहू और मिर्जापुर के छानबे सीट से विधायक हैं।

आपको बता दें कि रिंकी कोल को टिकट देकर पार्टी ने जहां सांसद से असंतुष्ट खेमे को साधा है तो दूसरी ओर कोल वोटों को सहेजे रखने का भी प्रयास किया है। सबसे खास बात यह कि रॉबर्ट्सगंज सीट के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी प्रमुख दल ने महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।

बताते चलें कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट एनडीए गठबंधन में अपना दल-एस के हिस्से में गई है। पार्टी से टिकट पाने के लिए कई दावेदार जोर-आजमाइश कर रहे थे। इसमें मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल कोल का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा था। इसके पीछे कोल जाति से होना प्रमुख वजह रही। रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र में इस जाति से करीब 80 हजार मतदाता हैं। इससे कहीं अधिक उनकी संख्या मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में है। हर चुनाव में यह निर्णायक भूमिका में भी रहते हैं।

मिर्जापुर से पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल उम्मीदवार हैं। ऐसे में रॉबर्ट्सगंज के साथ मिर्जापुर के समीकरणों को साधने के लिए भी अपना दल-एस ने साफ कर दिया था कि कोल जाति से ही उम्मीदवार उतारा जाएगा। इसमें बड़ा पेंच मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल की छवि को लेकर था। पिछले साल विवादित भाषण के बाद से एक बड़ा वर्ग उनके विरोध में था। इसका असर भी चुनाव में पड़ने की आशंका जताई जा रही थी।

अब पकौड़ी लाल का टिकट काटकर पार्टी ने इस असंतुष्ट वर्ग को साधने का दांव खेला है तो कोल जाति का मजबूत वोट बैंक भी अपने साथ सहेजे रखने का प्रयास किया है। रिंकी कोल अपने पति राहुल प्रकाश कोल के निधन के बाद चुनाव जीती थी। इससे उन्हें सहानुभूति का भी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।