ऐसा है सोनू किन्रर का सपना, नगर पालिका क्षेत्र में करना है ये काम
 

चेयरमैन सोनू किन्नर ने दुआओं के साथ-साथ अब जनता को वाटर टैक्स आधा और हाउस टैक्स पूरा माफ कराने का रिटर्न गिफ्ट देने की तमन्ना जता रही हैं। देखना है कि वह अपने सपने को कैसे साकार कर पाती हैं।
 

राजनेताओं व राजनीतिक दलों को झटका

सोनू किन्रर का क्लीयर है स्टैंड

 बता दिया क्या-क्या करना चाहती हैं सोनू किन्रर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र व धार्मिक नगरी वाराणसी से सटे चंदौली जिले के मुगलसराय कस्बे मिजाज चंदौली जिले के बड़े बड़े राजनीतिक दल भांप नहीं पाए, तभी तो जब यहां चुनाव नतीजा आया तो सभी चौंक गए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को पराजित करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी सोनू किन्नर ने जीत दर्ज की। अपने जैसों से निराश जनता ने इस बार फिर किन्नर से विकास की उम्मीद लगाई है। 

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मुगलसराय जैसे चंदौली जिले के सबसे विकसित नगर के मतदाताओं ने इस बार सोनू किन्नर को नगरपालिका चेयरमैन का सरताज पहनाकर शहर का प्रथम नागरिक बनाया है। जनता से यह 'नेग' पाकर सोनू भी खुश हैं। चेयरमैन सोनू किन्नर ने दुआओं के साथ-साथ अब जनता को वाटर टैक्स आधा और हाउस टैक्स पूरा माफ कराने का रिटर्न गिफ्ट देने की तमन्ना जता रही हैं। देखना है कि वह अपने सपने को कैसे साकार कर पाती हैं।

ऐसा रहा है सोनू का जीवन
सोनू किन्नर का जीवन संघर्ष से भरा है। उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा है। पिता की मौत के बाद सोनू किन्नर ने नाच गा कर परिवार का पालन किया। अब चेयरमैन बनने के बाद दिन बदलने के आसार हैं। सोनू का कहना है कि नगर के लोगों से नाच गाकर अब तक कमाया है। विकास के रूप में उसे अब वापस किया जाएगा।

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बचपन में ही पिता की मौत का सदमा
मुगलसराय इलाके के काली महाल निवासी माता श्यामा देवी और पिता रमनदत्त की बेटी सोनू का बचपन सामान्य रहा। घर में गरीबी थी। बचपन में ही पिता की मौत के बाद घर में कोई कमाने वाला भी नहीं था। चंद पैसों के लिए  नाचने-गाने की मजबूरी बाद में सोनू का शौक बन गया। 10 वर्ष की उम्र में पता चला कि वह सामान्य लड़की नहीं बल्कि किन्नर हैं। यह किसी सदमे से कम नहीं था। इसके बाद वह गुलाब गुरु की शरण में पहुंचीं और मंडली में नाचने गाने का सिलसिला शुरू किया। उसमें उनके परिजनों ने भी साथ दिया।

सोनू के स्वभाव से नगर के किन्नरों में उनकी अलग पहचान थी। कहीं बधाई और खुशी के मौके पर सोनू अन्य किन्नरों की तरह जिद नहीं करती थी। बल्कि लोग जो देते वह स्वीकार कर आशीर्वाद देकर चली जाती थी। नेग लेनदेन में कहीं भी अगर किन्नर और लोगों में विवाद होता तो सोनू को सुलझाने के लिए बुलाया जाता। सोनू की बात सभी किन्नर मान जाते थे। अब तक नाच गा कर परिवार का पालन करने वाली सोनू को शहर की खराब स्थिति को देखते हुए चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली। लोगों का साथ मिला और वह चुनाव जीत गई।

ऐसा काम करने का है इरादा
नवनिर्वाचित चेयरमैन सोनू किन्नर ने कहा कि नगर की जनता ने जो भरोसा मुझपर दिखाया है मैं उसपर शत-प्रतिशत खरा उतरने का प्रयास करूंगी। बताया कि मेरी प्राथमिकताओं में जल कर आधा करना और गृह कर माफ करना है। इसके अलावा पुराने फायर बिग्रेड की पूर्वी बाजार स्थित खाली पड़ी जमीन में 300 दुकानों का निर्माण कराकर लोगों को रोजगार दिया जाएगा। नगर के प्रेक्षागृह, सभागार और पत्रकारों के लिए पत्रकार भवन का निर्माण कराया जाएगा। नगर की जर्जर सड़कों और बजबजाती नालियों को दुरूस्त कराया जाएगा। नगर में जाम की सबसे बड़ी समस्या है, इससे लोगों को निजात दिलाने के लिए दामोदरदास पोखरे और अलीनगर थाने के पास ऑटो स्टैंड का निर्माण होगा और स्थायी सब्जी मंडी भी बनाई जाएगी। 

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प्रदेश में तीसरी बार किन्नर को चेयरमैन बनने का मौका
चंदौली जिले के एकमात्र नगर पालिका परिषद पीडीडीयू नगर से निर्दलीय प्रत्याशी सोनू किन्नर प्रदेश में तीसरी किन्नर हैं जिन्होंने चेयरमैन की कुर्सी संभाली है। इससे पहले 2001 में गोरखपुर से आशा देवी महापौर बनी थीं। वहीं 2006 में मिर्जापुर के अहरौरा नगर पालिका से रेखा चेयरमैन बनी थीं। किन्नरों को समाज में पहले काफी उपेक्षा की दृषि से देखा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे समाज की सोच बदली और लोगों ने किन्नरों को अपना प्रतिनिधि भी बनाना शुरू कर दिया है।

 नगर पालिका परिषद पीडीडीयू नगर में जीत दर्ज कर सोनू किन्नर ने जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश में इतिहास रचा है। सोनू की जीत ने लोकतंत्र की ताकत दिखा दी। सोनू से पहले 2001 के निकाय चुनाव में गोरखपुर में किन्नर आशा देवी ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया था कि बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा देखते रह गए थे। गोरखपुर के नरसिंहपुर इलाके के एक छोटे से मकान में रहने वाली किन्नर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी घर-घर जाकर नाचती गाती थीं। लोग जो नेग देते थे, उसी से उनका गुजर-बसर होता था।


2001 में गोरखपुर में जब मेयर का चुनाव हुआ तो आशा देवी ने इलेक्शन लड़ने का एलान कर दिया। सपा, भाजपा और तमाम राजनीतिक दलों के बीच किन्नर आशा देवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर दिग्गजों की जमानत जब्त कर दी। उसके बाद 2006 मिर्जापुर जिले के अहरौरा नगर पालिका से किन्नर रेखा चेयरमैन बनी थीं। वहीं 17 वर्षों बाद प्रदेश में पीडीडीयू नगर की जनता ने एक किन्नर को अपना चेयरमैन बनाया है।