दूसरी बार चकिया विधानसभा में गयी जिलाध्यक्ष की कुर्सी, इसीलिए हटाए गए अभिमन्यु सिंह
 

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सदस्य दर्शना सिंह से उनके निकट संबंध हैं। काशीनाथ सिंह ने कहा कि दायित्वों का निर्वहन करते हुए संगठन को मजबूत करने करे का प्रयास करेंगे।
 

कार्यकर्ताओं की नाराजगी का भाजपा के नेतृत्व ने लिया संज्ञान

नगर निकाय चुनाव की हार भी बड़ा कारण

अपनी टीम को भी खुश नहीं रख पाए थे जिलाध्यक्ष

चंदौली जिले में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले संगठन में परिवर्तन करते हुए जिला उपाध्यक्ष रहे काशीनाथ सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले अभिमन्यु सिंह जिलाध्यक्ष थे। चंदौली जिला बनने के बाद चकिया के किसी व्यक्ति को दूसरी बार जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इस नियुक्ति से पार्टी को चंदौली के साथ-साथ राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर भी फायदा मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है।

काशीनाथ सिंह चकिया विकास खंड के रघुनाथपुर गांव के किसान हैं। क्षेत्र के भुडकुंडा गांव निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह के बाद भाजपा के जिलाध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले काशीनाथ सिंह दूसरे कार्यकर्ता हैं। पूर्व प्रधान बेचई सिंह के पुत्र काशीनाथ सिंह ने भाजपा से ही राजनीति की शुरुआत की है। पहले भाजपा के चकिया मंडल अध्यक्ष बने। उसके बाद संगठन में उनका कद बढ़ता गया। जिला महामंत्री और जिला उपाध्यक्ष पदों पर रहे चुके हैं। उनकी पत्नी अंजू सिंह 2015 से 2020 तक रघुनाथपुर गांव की प्रधान की प्रधान थीं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यसभा सदस्य दर्शना सिंह से उनके निकट संबंध हैं। काशीनाथ सिंह ने कहा कि दायित्वों का निर्वहन करते हुए संगठन को मजबूत करने करे का प्रयास करेंगे।

ऐसा माना जा रहा है कि अभिमन्यु सिंह से उनके पदाधिकारी और पार्टी के लोग नाराज चल रहे थे। इसीलिए उनका बदलना तय माना जा रहा है। दो-दो नगरीय निकाय सीट हारने के बाद से पार्टी में खींचतान चल रही है। तभी तो वाराणसी के जिलाध्यक्ष बरकरार रखने और चंदौली के जिलाध्यक्ष को हटाने का संगठन ने फैसला लिया है।

मुगलसराय में किन्नर व चंदौली नगर पंचायत में निर्दल की जीत के बाद से टिकट बंटवारे में गड़बड़ी करने और पार्टी के लोगों को दरकिनार करने का आरोप लगता रहा था। इतना ही नहीं हार के बाद कई नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। कुछ दिन पहले विधायक मुगलसराय से भी इनका पंगा सार्वजनिक हो चुका था। ऐसा भी कहा जा रहा था कि वो अपनी टीम को भी भरोसे में नहीं रख पाते थे। कई बार उनका विरोध टीम के लोग ही करते रहे।