चर्चा जोरों पर : अगर ऐसा हुआ तो प्रभुनारायण यादव को मिलेगा वॉक-ओवर, चारों सीटों पर होगा असर
सकलडीहा विधानसभा सीट पर भाजपा को ऐसी गलती से होगा बड़ा नुकसान
ऐसा मान रहे हैं इलाके के लोग..जान लीजिए कितना सही- कितना गलत
चंदौली जिले की सकलडीहा विधानसभा सीट (381 Sakaldiha Vidhansabha Seat) फिलहाल जिले की सबसे हॉट सीट बनने के साथ-साथ चर्चा का विषय बनी हुई है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा में जाने की दावेदारी कर रहे नेताओं के द्वारा भाजपा का ही प्रत्याशी लड़ने की बात कही जा रही है, वहीं पार्टी के कुछ नेताओं के साथ-साथ अन्य पैसे वाले कैंडिडेटों के निषाद पार्टी के दरवाजे चक्कर लगाने की खबर से इलाके में एक अलग तरह की चर्चा (Chandauli Politics Rumours) आम हो गई है। ऐसी स्थिति में ऐसा लोगों का कहना है कि जो सबसे अधिक दमदार या मालदार होगा वही टिकट हासिल कर पाएगा।
ऐसी चर्चा के बीच चंदौली समाचार की टीम ने सकलडीहा विधानसभा का मूड जानने की कोशिश की और यह जानना चाहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी यह सीट किसी गठबंधन के दल के लिए छोड़ती है और वहां पर पार्टी के कार्यकर्ता की जगह कोई धनबली या बाहुबली चुनाव लड़ता है.. तो इसका कितना फर्क विधानसभा सीट पर पड़ेगा और उसका क्या असर पूरे चंदौली जिले के समीकरण पर पड़ेगा।
अगर ऐसा हुआ तो चारों सीटों पर होगा असर
चंदौली समाचार से बातचीत करते हुए जितेंद्र कुमार ने कहा कि वैसे देखा जाए तो सकलडीहा विधानसभा के टिकट पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और पिछले चुनाव में हार के बाद विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले सूर्यमुनी तिवारी (Suryamuni Tiwari) का ही पहला हक है, लेकिन इन सब बातों की उपेक्षा करके अगर भारतीय जनता पार्टी यह टिकट किसी और व्यक्ति या गठबंधन की किसी और दल को दे देती है, तो इससे भारतीय जनता पार्टी का न सिर्फ सकलडीहा विधानसभा में नुकसान होगा.. बल्कि इसका असर चंदौली जिले के अन्य 3 विधानसभाओं में भी देखने को मिलेगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा की इस हरकत से ब्राह्मण मतदाता उनके हाथ से फिसल जाएगा। वैसे ही योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता रहता है। ऐसे में अगर पार्टी टिकट काट देगी तो ब्राह्मण मतदाता उनके हाथ से छिटक कर अन्य दलों में जा सकते हैं।
..तो प्रभुनारायण यादव के लिए होगा वाक ओवर
इस बारे में जब अरविंद कुमार से जाने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि सकलडीहा विधानसभा में आज तक भारतीय जनता पार्टी अपना प्रत्याशी नहीं जिता सकी है। यह सीट पहले धानापुर के नाम से थी..अब सकलडीहा विधानसभा सीट कहीं जा रही है। धानापुर में भी कभी भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार नहीं जीता था, क्योंकि यहां चुनाव लड़ने और हारने के बाद कभी भी भाजपा का कोई उम्मीदवार 5 साल काम नहीं करता था। इधर उधर से टिकट का जुगाड़ करके चुनाव लड़ने के लिए आ जाता था। सूर्यमुनी तिवारी भी पिछले 2017 के चुनाव में टिकट पर मिलने के बाद इलाके में सक्रिय हुए थे और इतने कम समय में चुनाव जीतना काफी कठिन था। लेकिन फिर भी वह दूसरे नंबर पर रहे।
भारतीय जनता पार्टी के अब तक के उम्मीदवारों में सर्वाधिक वोट पाने वाले नेता रहे हैं। चुनाव हारने के बाद भी सूर्यमुनी तिवारी पहले ऐसे भाजपायी नेता हैं जो 5 साल तक इसी उम्मीद के साथ मेहनत करते रहे हैं कि अगर दोबारा मौका मिला तो वह पहली बार भाजपा के खाते में यह सीट डालने की गारंटी देंगे। इसीलिए वह सभी छोटी-बड़ी बिरादरी के साथ-साथ पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के दरवाजे पर आने-जाने का सिलसिला जारी रखा है। ऐसे में टिकट तो उनको ही टिकट दिया जाए चाहिए। लेकिन अगर यह सीट किसी और के गठबंधन में चली जाती है या उस पर कोई ऐसा कार्यकर्ता है या नेता चुनाव लड़ने आता है, जिसका सकलडीहा विधानसभा से कोई लेना देना नहीं है.. तो ऐसी स्थिति में यह सीट प्रभु नारायण यादव (Sakaldiha MLA Prabhu Narayan Singh Yadav) के लिए वॉक-ओवर जैसी हो जाएगी। तब उनकी थोड़ी बहुत टक्कर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार से ही होगी। भाजपा या उसके गठबंधन वाला उम्मीदवार तीन नंबर पर जाएगा। यह बात 10 मार्च 2022 को देख लीजिएगा।
भाजपा के वोटर भूले नहीं हैं अजगरा का किस्सा
जब इस बारे में श्याम नारायण जी से बात की गई तो उनका कहना था कि यह भारतीय जनता पार्टी और उनके गठबंधन के दलों का व्यक्तिगत मामला है कि वह किस तरह का उम्मीदवार इस सीट पर देते हैं। लेकिन पैसे से सीट बिकने की चर्चा इलाकों में आ चुकी है और कहा जा रहा है कि जो सबसे अधिक बोली लगाएगा उसे ही गठबंधन में जाने वाली यह सीट मिलेगी। यह सकलडीहा विधानसभा के लिए बड़े ही दुर्भाग्य की बात है। यहां पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को वरीयता देने के बजाय अगर टिकट की बोली लगाई जाएगी और हवा हवाई उम्मीदवार को टिकट मिलेगा तो इसका खामियाजा खुद भाजपा या उसका सहयोगी दल भुगतेगा। सकलडीहा की जनता कई बार पहले भी इसी तरह के धनबलियों व बाहुबलियों से ठगी जा चुकी है। अबकी बार वह ऐसे राजनीतिक दलों को सबक सिखाने का काम करेगी। सकलडीहा में सिर्फ वही उम्मीदवार चुनाव जीतेगा जो यहां के लोगों के सुख-दुख में शामिल होता रहा हो और इसी इलाके का हो।
..तो कौन पूरा कराएगा शिलान्यास वाले काम
इस बारे में देवेंद्र प्रताप का मानना है कि सकलडीहा विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की सीट है। बाबा कीनाराम मठ मंदिर में इतना बड़ा कार्य कराने के साथ-साथ इस विधानसभा में तमाम योजनाओं और परियोजनाओं के शुरू किए जाने का जो बीड़ा भारतीय जनता पार्टी ने उठाया है। उसे भारतीय जनता पार्टी का नेता या कार्यकर्ता ही पूरा कर सकता है। अगर यह सीट गठबंधन के हाथ में चली जाती है तो ठीक उसी तरह से सकलडीहा विधानसभा सीट की जनता भी ठगी जाएगी जैसे पिछली बार अजगरा विधानसभा में ठगी गयी थी। पार्टी के लोगों ने राजभर की पार्टी को वोट देकर अपना नुकसान किया था। गठबंधन में चुनाव जीतने के बाद कौन सा दल.. कब-कहां चला जाएगा इसका कोई ठीक नहीं है। इससे चंदौली जिले की सकलडीहा विधानसभा सीट एक बार फिर उपेक्षित हो जाएगी।
तो इस तरह खुलकर बोले सूर्यमुनी तिवारी
इसी तरह की चर्चा के बारे में जब विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे सूर्यमुनी तिवारी से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि इस तरह की अफवाह जानबूझकर फैलाई जा रही है, ताकि भाजपा के वोटरों को भड़काया जा सके। पार्टी सकलडीहा विधानसभा सीट को लेकर काफी संवेदनशील है। सकलडीहा विधानसभा सीट पर पार्टी का ही कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा। जो लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं या किसी और दल के खाते में सीट जाने की बात कर रहे हैं वह ऐसा करके पार्टी का नुकसान कर रहे हैं। पार्टी का वोटर हमेशा भाजपा के साथ रहा है और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के हर एक आदेश का पालन करेगा। मैं भारतीय जनता पार्टी के वोटरों से अपील करूंगा कि इस तरह के किसी भी बहकावे में ना आएं और ना ही अफवाहों पर भरोसा करें। सब का संकल्प एक बार फिर से योगी सरकार होना चाहिए।