बेसहारा व आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए बनने जा रही है टीम, किसानों को मिलेगी राहत
 

चंदौली जिले में गांवों में बेसहारा व आवारा पशुओं को पकड़ कर एक जगह रखने की योजना पर काम होने जा रहा है। ये जानवर अब किसानों की फसलों के लिए चुनौती नहीं बनेंगे।
 

बेसहारा व आवारा पशुओं को पकड़ने की योजना 

बनने जा रही है टीम

किसानों को मिलेगी राहत

चंदौली जिले में गांवों में बेसहारा व आवारा पशुओं को पकड़ कर एक जगह रखने की योजना पर काम होने जा रहा है। ये जानवर अब किसानों की फसलों के लिए चुनौती नहीं बनेंगे। उन्हें पकड़ने के लिए अब गांव-गांव टीमें गठित की जाएंगी। उन्हें सड़क पर घूमने वाले व खेत में खड़ी किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले पशुओं को तत्काल पकड़कर पशुपालन विभाग को सूचित करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

 

फिलहाल देखा जाय तो शासन के निर्देश के बाद पशुपालन विभाग हरकत में आ गया है। गांव स्तर पर टीमों के गठन की कवायद शुरू कर दी गई है। बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोवंश आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाएगा।

बेसहारा गोवंश को आश्रय दिलाने पर सरकार का पूरा जोर है। पशुपालन के साथ ही अन्य विभाग बेसहारा पशुओं को आश्रय स्थल तक पहुंचाने और यहां जरूरी इंतजाम में जुटे हैं। हालांकि यह कवायद नाकाफी साबित हो रही। ग्रामीण इलाके में बेसहारा पशु विचरण करते दिख जाते हैं। किसानों की खेत में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसको लेकर अक्सर शिकायतें मिलती रहती हैं। इस पर शासन-प्रशासन गंभीर हो गया है। 

गांवों में बेसहारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए मुकम्मल योजना बनाई गई है। इन्हें पकड़ने और सूचना देने के लिए टीमें गठित की जाएंगी। ग्राम पंचायत के माध्यम से कुछ युवकों व संभ्रांतजन को इसमें शामिल किया जाएगा, जो गांवों में स्वतंत्र विचरण करने वाले पशुओं को पकड़कर कहीं सुरक्षित स्थान पर रखेंगे। इसकी सूचना विभागीय अधिकारियों को देंगे। इसके बाद पशुओं को लाकर आश्रय स्थलों में रखा जाएगा। इससे बेसहारा पशुओं से फसल की बर्बादी रुकेगी।

जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर एसपी पांडेय का दावा है कि जिले में एक दर्जन से अधिक गोवंश आश्रय स्थल हैं। इसमें धानापुर के नेकनामपुर व नियामताबाद के कठौड़ी में वृहद गोवंश आश्रय स्थल है। यहां एक-एक हजार पशुओं को रखने की क्षमता है।फिलहाल जिले में लगभग आठ हजार बेसहारा मवेशी आश्रय स्थलों में रखे गए हैं। ' बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए अब गांव-गांव टीमें गठित की जाएंगी। टीम के सदस्य बेसहारा पशुओं को पकड़कर सूचना देंगे। उन्हें गोवंश आश्रय स्थलों में रखा जाएगा। ताकि किसानों की फसल को नुकसान न पहुंचने पाए।