रबी गोष्ठी के साथ साथ खाद की किल्लत याद रहती तो न होती परेशानी, 20 लाख खर्च करके नेताजी भी भूले रैक प्वाइंट
 

चंदौली जिले में रबी सीजन की फसल की बुवाई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और अधिकारी तथा सत्ता पक्ष के राजनेता पीक सीजन में डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की कमी पर केवल लंबे चौड़े आश्वासन दे रहे हैं।
 

रबी गोष्ठी के साथ साथ खाद की किल्लत

रबी सीजन की फसल की बुवाई पर संकट

डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की कमी

20 लाख खर्च करके नेताजी भी भूले रैक प्वाइंट
 

चंदौली जिले में रबी सीजन की फसल की बुवाई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और अधिकारी तथा सत्ता पक्ष के राजनेता पीक सीजन में डीएपी सहित अन्य उर्वरकों की कमी पर केवल लंबे चौड़े आश्वासन दे रहे हैं। हालांकि अभी कुछ दिन पहले रबी गोष्ठी करके किसानों की आय दोगुनी करने का एलान करते हुए सरकारी अधिकारी तमाम तरह के वायदे और खेती बारी के टिप्स किसानों को दे चुके हैं, लेकिन उनको समय से गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी मिल जाए.. इसकी तैयारी करने का उनको समय ही नहीं मिला।

 आपको बता दें कि चंदौली जिले में रबी सीजन की डीएपी की खपत लगभग 20 हजार टन बताई जाती है, जिसके सापेक्ष जिले की सहकारी समितियों में फिलहाल केवल 800 टन खाद उपलब्ध है, जिसकी वजह से पूरे जिले में डीएपी खाद की किल्लत बनी हुई है और पिछले 1 सप्ताह से अधिकारी और राजनेता तरह-तरह के आश्वासन देते हुए किसानों को आश्वासन देने का काम कर रहे हैं। 

कहा जा रहा है कि जिले के किसान सिर्फ अधिकारियों की लापरवाही और सत्ता पक्ष के राजनेताओं के द्वारा समय से खाद और उससे जुड़ी चीजों की एक्सरसाइज और तैयारी ना करने की वजह से डीएपी खाद की किल्लत का सामना करने को मजबूर है, क्योंकि ना तो अधिकारियों को इसकी तैयारी और प्लानिंग करने का समय मिला और ना तो चुनाव की तैयारी में व्यस्त राजनेताओं को। अब वह पूरे देश में किल्लत होने की बात कहते हुए तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं।

 चंदौली जिले में धान की कटाई के बाद रबी फसल की बुवाई में किसान जुटे हुए हैं और कभी सहकारी समिति तो कभी निजी विक्रेताओं के यहां दौड़कर डीएपी लाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी अधिकारियों की मानें तो फिलहाल सहकारी समितियों में 240 टन और निजी विक्रेताओं के पास लगभग 500 टन उर्वरक उपलब्ध है और इसी से काम चलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जिले में लक्ष्य के हिसाब से डीएपी कब तक आएगी और कैसे आएगी इसका कोई ठोस आश्वासन किसी के पास नहीं है।

 आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही सांसद महेंद्र नाथ पांडेय ने कुछ दिनों के भीतर खाद की रैक आने की खबर मीडिया में छपवा दी थी, जबकि अधिकारी अगले चार-पांच दिनों में खाद आ जाने की बात पिछले कई दिनों से दोहरा रहे हैं। 

आपको याद होगा कि जिले में खाद का संकट दूर करने के लिए चंदौली जिले में खाद का  के रैक पॉइंट बनावाया गया था। इसके के नाम पर खुद सांसद महेंद्र नाथ पांडेय ने 20 लाख रुपए सांसद निधि से खर्च करके रैक प्वाइंट का निर्माण कराया था, ताकि चंदौली जिले में उर्वरकों की कमी नहीं महसूस हो। लेकिन जिले के अधिकारी और राजनेता इस पैसे को खर्च करने के बाद भूल गए और एक बार के बाद इस रैक प्वाइंट पर खाद उतरने के बाद दोबारा खाद उतारने के लिए किसी ने कोई कोशिश नहीं की। इसके लिए किसी राजनेता ने कोई कोशिश नहीं की और न ही अधिकारियों ने। सारे अफसर अपने कमीशन के चक्कर में चंदौली जिले की खाद वाराणसी जिले में उतरवाने की कोशिश करते रहे हैं।