राइस मिलर्स के लिए इतना एक्टिव दिखे डिप्टी RMO, जिलाधिकारी ने सुनी समस्याएं
डिप्टी आरएमओ साहब 24 घंटे के अंदर एक्टिव
राइस मिलर्स की समस्याओं को लेकर DM से मुलाकात
इसे आपसी सेटिंग कहें या बेहतर तालमेल जिस तरह से राइस मिलर्स की समस्याओं को लेकर चंदौली जिले के डिप्टी आरएमओ साहब 24 घंटे के अंदर एक्टिव हो गए। काश कुछ ऐसा ही किसानों की समस्याओं को लेकर कभी हुए होते तो चंदौली जिले के किसान इस अधिकारी को खूब आशीर्वाद देते। लेकिन साहब तो किसानों से ज्यादा राइस मिलर्स पर मेहरबान हैं। इसका नमूना चंदौली जिले में तब देखने को मिला जब चंदौली जिले के डिप्टी आरएमओ अनूप कुमार पूर्वांचल राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सिंह के नेतृत्व में जिलाधिकारी से मिलने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल के सामने मिलर्स की समस्याओं पर जमकर पैरवी की और जिलाधिकारी के साथ आमने सामने बैठ कर उनकी समस्याओं को दूर कराने की भरपूर कोशिश की है।
इस दौरान बताया गया कि राइस मिलर की 10 प्रमुख समस्याएं हैं, जिन पर शासन प्रशासन के द्वारा विचार किया जाना है। अगर इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो राइस मिलें बंद हो जाएंगी और मिलर्स के साथ-साथ इस में काम करने वाले सैकड़ों मजदूर भी भुखमरी के कगार पर चले जाएंगे।
आपको बता दें कि पूर्वांचल राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सिंह के नेतृत्व में मंगलवार को कलक्ट्रेट में डीएम संजीव सिंह से राइस मिलरों का प्रतिनिधिमंडल मिला था। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने खरीफ सीजन में क्रय केंद्रों पर खरीदे गए धान की रिकवरी प्रतिशत व धान कुटाई में प्रोत्साहन राशि को बढ़ाने सहित 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा और कार्रवाई करने की मांग की। इस दौरान एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा कि शासन-प्रशासन की उपेक्षात्मक रवैया के चलते चावल उद्योग जबदस्त घाटे में चल रहा है। यदि समय रहते समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया तो मिले बंद हो जाएंगी। इससे मिलरों के साथ ही सैकड़ों मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। इसे देखते हुए समस्याओं का समाधान तत्काल किया जाए।
कहा कि खरीफ सीजन में क्रय केन्द्रों पर जो धान खरीदा जाता है। उसमें 58 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक ही चावल की रिकवरी आती है। जबकि मिलर्स से 67 प्रतिशत रिकवरी ली जाती है। इससे मिलों को आर्थिक क्षति होती है। ऐसी स्थिति में रिकवरी प्रतिशत को 67 फीसद से घटाकर 58 से 60 प्रतिशत तक कर दिया जाए। अगर सरकार रिकवरी प्रतिशत घटाने में असमर्थ है तो क्रय केंद्रों पर मास्चर मीटर के समान छोटी पैडी हालिंग के मशीनों को रखवाया जाए। विगत 20 वर्षों से धान कुटाई के लिए 10 रुपये प्रति कुंतल कुटाई चार्ज व दो वर्षों से 20 रुपया प्रति कुंतल प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। जबकि लेबर चार्ज, बिजली व डीजल की कीमत के साथ मिल के उपकरणों के दाम में कई गुना बढ़ गए हैं। इसे देखते हुए मिलर्स को कुटाई प्रोत्साहन राशि 250 रुपये प्रति कुंतल किया जाए।
सबने कहा कि मिलर्स को धान कूट कर 45 दिन क अंदर चावल जमा करना होता है। उसके बाद अर्थदंड के रूप में होल्डिंग चार्ज लगता है। कुटाई जाड़े के मौसम में होती है। ऐसे में मौसम व गोदामों में लेबर की कमी, पीडीएस उठान में रैंक आदि लग जाने के कारण 45 दिन में चावल का उतार नहीं हो पाता है। इसे बढ़ाकर 75 दिन किया जाए। कहा कि विगत कई वर्षों का मिलर्स का विभिन्न एजेन्सियों पर बकाये का भुगतान ब्याज के साथ व खाद्य विभाग की ओर से किया जाए। धान एवं चावल का परिवहन मिलर्स से करायी जाए। धान को रिजेक्ट करने का अधिकार मिलर्स को दिया जाए। धान प्राप्ति मिलर्स के डिजिटल हस्ताक्षर से करने की व्यवस्था लागू किया जाए। लाट डिपो पर यदि 24 घंटे में अनलोड न हो तो मिलर्स को तीन हजार रुपये प्रतिदिन का होल्टेज कराया जाए।
इस मौके पर इस अवसर पर मदन लाल, आनन्द सिंह, ओमप्रकाश, रामनगीना गुप्ता, नन्दलाल मौर्य, टीएन सिंह, संतोष तिवारी, विनोद पांडेय, मदन जायसवाल आदि मौजूद रहे।