वायरल किए जा रहे वीडियो पर बोले डॉ. आनंद तिवारी : हॉस्पिटल बंद कर  दूं..या आत्महत्या कर लूं 

चंदौली के प्रसिद्ध के.जी. नंदा हॉस्पिटल के संचालक डॉ. आनंद तिवारी ने वायरल वीडियो विवाद पर भावुक होते हुए अपना पक्ष रखा है। उन्होंने समाज से न्याय की गुहार लगाते हुए पूछा है कि क्या सेवा करना अपराध है?

 

के.जी. नंदा हॉस्पिटल संचालक का भावुक बयान

वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप

डॉक्टर ने समाज और प्रशासन से मांगी सुरक्षा

सोशल मीडिया अफवाहों पर चिकित्सक ने जताई पीड़ा

साजिश और अफवाहों से आहत चिकित्सक चंदौली के जिला मुख्यालय स्थित के.जी. नंदा हॉस्पिटल में महिला आयोग की सदस्य के आगमन के बाद एक वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस वायरल वीडियो और अपने खिलाफ की जा रही बयानबाजी से आहत अस्पताल संचालक डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी ने गहरी पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उनके इंस्टाग्राम वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है ताकि उनकी छवि धूमिल की जा सके।

न्याय की मांग और भविष्य पर सवाल भावुक होते हुए डॉ. तिवारी ने कहा, "एक डॉक्टर को तब सबसे ज्यादा खुशी मिलती है जब निसंतान दंपत्तियों के घर किलकारी गूंजती है।" उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वह अपनी मेहनत से बनाया अस्पताल सौंप दें, आत्महत्या कर लें ? 

देखिये विडियो -

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चंदौली जिले के जिला मुख्यालय स्थित के. जी. नंदा हॉस्पिटल परिसर में महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे जनपद में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। इस वायरल वीडियो को लेकर अब के. जी. नंदा हॉस्पिटल के संचालक डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और अपने खिलाफ की जा रही कार्रवाई की मांग पर गहरी पीड़ा व्यक्त की है।

डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी ने अपने बयान में कहा कि एक चिकित्सक के रूप में उन्हें मरीजों के सफल इलाज और संतान सुख से वंचित परिवारों के चेहरे पर खुशी देखकर आत्मसंतोष मिलता है। उन्होंने कहा कि जब किसी परिवार में वर्षों बाद किलकारी गूंजती है तो वह किसी भी डॉक्टर के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। लेकिन इसी कार्य को लेकर कुछ लोग सोशल मीडिया पर उनके इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म से वीडियो उठाकर, उन्हें तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं और बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं।

डॉ. तिवारी ने कहा कि चंदौली जनपद के लिए यह गर्व की बात होनी चाहिए कि यहां की चिकित्सीय पद्धति का लाभ न सिर्फ जिले के लोगों को, बल्कि अन्य जिलों और राज्यों से आने वाले मरीजों को भी मिल रहा है। इसके कारण जिले का नाम रोशन हो रहा है, लेकिन कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ चुनिंदा लोग योजनाबद्ध तरीके से उनकी छवि खराब करने और प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रामक क्लिप दिखाकर उनके खिलाफ कार्रवाई कराने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि जिस घटना को लेकर वीडियो वायरल किया जा रहा है, वह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, जिसे वह स्वयं और महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव भी भूल चुकी हैं। बावजूद इसके, पुराने वीडियो क्लिप को बार-बार वायरल कर तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिससे वह मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं।

अपने दर्द को बयां करते हुए डॉ. तिवारी ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों ने उन्हें तीन विकल्पों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है—या तो वह हॉस्पिटल बंद कर दें, या आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाएं, या फिर माफिया बन जाएं। उन्होंने कहा कि उन्हें अब समझ में आने लगा है कि समाज से पीड़ित होकर ही कई लोग हथियार उठाने पर मजबूर होते हैं। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि वह इस रास्ते पर नहीं जाना चाहते।

डॉ. तिवारी ने समाज से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी को उनसे या हॉस्पिटल के कार्य से कोई शिकायत है, तो सीधे आकर बात करे। जरूरत पड़ी तो वह स्वयं हॉस्पिटल बंद कर देंगे, लेकिन बेबुनियाद आरोपों और अफवाहों के जरिए किसी की जिंदगी और प्रतिष्ठा से खिलवाड़ न किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समाज उन्हें सेवा करने नहीं देना चाहता, तो वह यहां से चले जाएंगे, जिससे समाज को मिलने वाला चिकित्सीय लाभ भी समाप्त हो जाएगा।

अब देखना यह होगा कि डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी के इस बयान के बाद जिला प्रशासन क्या रुख अपनाता है। उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे को किस दिशा में आगे बढ़ाया जाता है और क्या प्रशासन एक ऐसे चिकित्सक को राहत देता है, जो समाज को लाभ पहुंचाने का दावा कर रहा है, या फिर हॉस्पिटल पर कार्रवाई कर पूरे मामले को और गंभीर मोड़ देता है। फिलहाल यह मामला जिले में चर्चा और बहस का विषय बना हुआ है।