दस्तक अभियान के साथ शुरू हुआ फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम, घर–घर जाकर खिलाई जाएगी दवाई, किया जाएगा जागरूक
चंदौली जिले मे सोमवार से दस्तक अभियान की शुरुआत के साथ ही फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) का भी शुभारंभ किया गया । यह कार्यक्रम 12 से 26 जुलाई तक संचालित किया जाएगा।
आप को बता दें कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी पी द्विवेदी द्वारा चंदौली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर फीता काटने के साथ दवा का सेवन कर आईडीए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस दौरान सीएमओ ने जनपद वासियों से अपील की है कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी जनपदवासी दवा का सेवन जरूर करें। जिससे फ़ाइलेरिया बीमारी का जनपद से उन्मूलन हो सके ।
इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पी के चतुर्वेदी, डॉ पीपी उपाध्याय,जिला मलेरिया अधिकारी डॉ जे पी सोनकर, मलेरिया निरीक्षक अनिल कुमार,एचइओ जेपी सिंह व दीप्ति शर्मा ने भी दवा का सेवन किया।
इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ जे पी सोनकर ने बताया - फ़ाइलेरिया यानी हाथीपांव से ग्रसित व्यक्तियों को खोजा जायेगा। जनसमुदाय में फ़ाइलेरिया और अधिक न फैले इसके लिए डीईसी (डाई एथायिल कार्बन) व एल्बेंडाज़ोल और आईवरमैकटीन यह तीन दवाइया सभी ब्लॉक को प्राप्त करा दी गयी है । एक स्वस्थ आदमी के अंदर भी फाइलेरिया के विषाणु होते हैं, जिनको मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के तहत दवा खिलाकर बीमारी से बचाने का पूरा प्रयास किया जाता है।
आप को बता दें कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत (आई डी ए ) कार्यक्रम दिनांक 12 से 26 जुलाई तक संचालित किया जा रहा है । जिसके लिए 1674 ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन टीमें गठित की गयी, साथ ही 196 सुपरवाइजर द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु ब्लॉक स्तर टीमे गठित की गई है ।
इस संबंध में सहायक मलेरिया अधिकारी राजीव सिंह ने कहा की कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन गतिविधियों का संचालन कोविड-19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा, हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल हैं। इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी. ,अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है ।
संजीव सिंह ने बताया कि रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं ।किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं,जो दवा खाने से नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण शरीर में ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है,
हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से, इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है।
1. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (आईडीए) - एंटी फाइलेरिया दवा यानि डी.ई.सी., अल्बंडाजोल एवं आईवरमेक्टिन की वर्ष में एक खुराक द्वारा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी की रोकथाम।
2. मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम-फाइलेरिया या हाथीपांव से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं इलाज।
फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान में इस बात का विशेष ध्यान देना है कि जो लोग, अभियान के दौरान घर पर नहीं हैं और दवा खाने से वंचित हो गए हैं, उनमें ऐसी भावना पैदा हो और उन्हें इस तरह जागरूक किया जाये कि वे घर वापस लौटने पर अपने गाँव की आशा के पास जाएँ औए अपने हिस्से की फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं।