केवल टहलने व फोटो खिंचवाने तक न हो पुलिस की पैदल गस्त, लोगों से बात भी करें
 

लेकिन अगर नियमित रूप से किसी इलाके में पुलिस के लोग गस्त करते हैं और इमानदारी से व्यापारियों तथा अन्य संभावित लोगों से बातचीत करके हालात का जायजा लेते रहते हैं, तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।
 

पैदल मार्च के नाम खानापूर्ति रोकनी जरूरी

लोगों के साथ बातचीत भी करें अफसर

सीओ और थाना प्रभारियों को भी पैदल चलना अनिवार्य बनाएं कप्तान साहब

चंदौली जिले के पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल अक्सर अपने मातहतों को अपने अपने इलाके में पैदल गस्त करने के साथ-साथ लोगों से जनसंपर्क करने की बात कहते हैं और अक्सर पुलिस की ओर से जारी की जाने वाले विज्ञप्तियों को जारी करके बाजार में घूमने के फोटो व वीडियो शेयर किए जाते हैं, लेकिन यह कार्यक्रम इमानदारी से करने के बजाय ज्यादातर जगहों पर केवल फोटो खिंचवाने और खानापूर्ति करने वाला होता है। 

 

अक्सर पुलिस के उप निरीक्षक, निरीक्षक और पुलिस क्षेत्राधिकारी जैसे लोगों की पैदल मार्च और जनसंपर्क के तमाम तरह के दावे किए जाते हैं, लेकिन यह पूरा कार्यक्रम केवल वर्दी पहनकर बाजारों में घूमने तक सीमित होकर रह जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सही तरीके से पूरा नहीं होता है। इसी के चलते इलाके में चोरी और अपराध की घटनाएं बढ़ रहे हैं। अगर पुलिस के अफसर और सिपाही ईमानदारी के साथ पुलिस की गश्त और लोगों से जनसंपर्क का कार्यक्रम चलाएं तो चोरी और अन्य घटनाओं को बड़े आसानी से रोका जा सकता है।

 

 पुलिस के आला अधिकारियों के द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में पुलिस के कुछ सिपाही और उपनिरीक्षक एकत्रित होकर बाजार के कुछ इलाकों का दौरा कर आते हैं और अपनी तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। इस तरह से पैदल मार्च के कार्यक्रम की खानापूर्ति हो जाती है। लेकिन अगर नियमित रूप से किसी इलाके में पुलिस के लोग गस्त करते हैं और इमानदारी से व्यापारियों तथा अन्य संभावित लोगों से बातचीत करके हालात का जायजा लेते रहते हैं, तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।

 उम्मीद है जनपद में चोरी की कई बड़ी घटनाओं और अपराधिक घटनाओं से सबक लेते हुए पुलिस के अधिकारी जनता के साथ अपनी संवादहीनता को कम करेगी और बेहतर तालमेल के साथ जिले की शांति व्यवस्था को बहाल रखने के लिए काम करेगी।