ऑफिस में बैठकर नहीं फैसला ऑन द स्पॉट करने में भरोसा करते हैं आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा
कहा जाता है कि जब कोई इंसान अपने देश के लिए कुछ करना चाहता है तो उसके मन में तरह तरह के ख्याल आते हैं। कभी-कभी वह अपने देश की सेवा के लिए विश्व स्तर पर मिलने वाली तमाम सुख-सुविधाओं को भी छोड़कर अपने गांव की मिट्टी की देखभाल करने चल देता है। कुछ ऐसा ही काम हमारे देश के एक नौजवान आईएएस अधिकारी ने किया है। गांव के गरीबों की मदद और जनता की बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और अपनी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर अपने दूसरे प्रयास में आईएएस अधिकारी बनकर गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनने व मदद करने लगा।
इस अधिकारी का नाम प्रेम प्रकाश मीणा है। 2018 बैच के आईएएस अधिकारी की फिलहाल पोस्टिंग चंदौली जिले की चकिया तहसील में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में है। वह हर दिन अपने अंदाज में लोगों की समस्या को चुटकी में निपटाने का कमाल करते जा रहे हैं। चंदौली समाचार के लिए विजय कुमार तिवारी ने प्रेम प्रकाश मीणा से बात की और उनके जीवन व काम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की। पेश है उनका एक खास साक्षात्कार...
आखिर क्यों चुनी आईएएस जैसी सर्विस
2018 बैच के आईएएस अफसर प्रेम प्रकाश मीणा का कहना है कि लगभग 10 सालों तक कई देशों नें मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद महसूस हुआ कि उन्हें अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए। देश के लोगों की मदद के लिए सिविल सेवा से बेहतर कोई भी संसाधन नहीं है। इसीलिए नौकरी छोड़ी और पहले चांस में आईआरएस सेवा में और दूसरे चांस में प्रॉपर आईएएस के रूप में उत्तर प्रदेश का कैडर मिल गया। इसके बाद से वह अपनी तीसरे जिले की पोस्टिंग में अपनी मेहनत व लगन के साथ काम कर रहे हैं।
क्या है न्याय आपके द्वार का कांसेप्ट
आईएएस तो देश में बहुत सारे हैं। पर बहुत कम अफसर ऐसे होते हैं जो दिल से लोगों की मदद करते हैं और सिविल सेवा की नौकरी को सेवा के अवसर के रूप में देखते हैं। यह जज्बा सिर्फ प्रेम प्रकाश मीणा के जैसी सोच वाले अधिकारियों में होता है। तभी तो न्याय आपके द्वार जैसे यूनीक कांसेप्ट को अपनी पोस्टिंग के तीसरे जिले व पांचवी तहसील में भली भांति कर रहे हैं। उन्होंने खुद विस्तार से इसके बारे में बताया.....
कैसा महसूस करते हैं आला अफसर
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा का कहना है कि जब से उनको फील्ड पोस्टिंग मिलनी शुरू हुयी है तब से उनके वरिष्ठ अधिकारी हमेशा उनका सपोर्ट कर रहे हैं और उनको काम करने में हमेशा मदद करने के साथ साथ प्रोत्साहन भी करते हैं। मीणा ने बस्ती से लेकर चंदौली तक की पोस्टिंग के कई अधिकारियों के नाम गिनवा दिए। अच्छे अधिकारी हमेशा अपने मातहतों के अच्छे काम व पहल की सराहना करते हैं और जरूरत पड़ने पर सपोर्ट भी करते हैं।
कैसा है साथी अधिकारियों का रवैया
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा का कहना है कि आजकल सोशल मीडिया के जरिए हर अच्छे काम का प्रचार प्रसार तेजी से हो जाया करता है और कई अधिकारी उनको फोन करके उनके काम के तरीके व लोगों से मिलने वाले रिएक्शन के बारे में पूछते हैं। साथ ही कुछ अफसर तो अच्छे सकारात्मक सुझाव भी देते हैं, जिससे उनको काम को और बेहतर करने का मौका मिलता है।
चंदौली की पोस्टिंग में दे दिया था संदेश
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा ने चंदौली जिले में अपनी पोस्टिंग के दौरान सकलडीहा तहसील के लोगों से चार्ज लेते समय कह दिया था कि केवल 15 दिनों में आपको फर्क दिखने लगेगा और उसी के अनुरूप काम करते हुए कई लोगों के वर्षों से चले आ रहे विवाद को पल भर में निपटा दिया।
जो काम छोड़ आए थे, वह कैसा है
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा कहते हैं कि उनसे जितना बन पड़ता है, अपनी बेस्ट कोशिश करके बेस्ट परफॉर्मेंस देना चाहते हैं। बाकी चीजें व्यवस्था का पार्ट है। जिस अफसर को नयी जिम्मेदारी मिलती है, वह अपनी कार्यक्षमता के अनुरूप करने की कोशिश करता है।
चंदौली जिले के लोगों को संदेश
कानून को अपने हाथ में न लें। चंदौली जिले में बहुत अधिक संभावनाएं है। वेवजह के विवादों से बचकर अपना काम करें। चंदौली जिले के लोगों को शिक्षा पर खास ध्यान देना चाहिए।
शिक्षा के लिए बहुत करना है बाकी
चंदौली जिले में शिक्षा के लिए बहुत कुछ करना बाकी है, क्योंकि यहां पर शिक्षा को लेकर जितनी जागरूकता व व्यवस्था होनी चाहिए वह मौजूद नहीं है, जिसके कारण बच्चों को इधर उधर भटकना पड़ता है।
चंदौली हमेशा रहेगा याद
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा चंदौली के बारे में अपने अनुभव शेयर करते कहते हैं कि यह जिला हमेशा उनकी जेहन में रहेगा। यह पर अपार संभावनाएं हैं।
बच्चों को सिविल सेवा के लिए करते हैं प्रेरित
गांव के गरीब बच्चों के हालात देखकर वह यूट्यूब के जरिए प्रेरित करने व जानकारी देने का काम करते हैं, ताकि वह संसाधन व जानकारी के अभाव में अपने करियर को आगे बढ़ाने से वंचित न रह जाएं। कोचिंग ज्वाइन न कर पाने वाले छात्रों की मदद के लिए मैटेरियल तैयार कर रहे हैं।
अपने परिवार की गरीबी का भी दिया हवाला
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि व पिता के संघर्षों की चर्चा करते हुए शिक्षा की ताकत का एहसास दिलाने की कोशिश की, जिसके जरिए उनके पिता ने उन्हें इस काबिल बनाया। अपने पिता के संघर्षों की कहानी भी बतायी।
अपने बैकग्राउंड को नहीं भूलना चाहिए
आईएएस प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा कि लोगों को कभी भी अपनी जड़ को नहीं भूलना चाहिए और न ही अपने देश को भूलना चाहिए। जब वह विदेश की नौकरी छोड़कर वापस देश आने लगे तो कई लोगों ने मना किया लेकिन वह अपनी नई मंजिल के लिए बेताब थे। इसीलिए वह सिविल सेवा को मदद का जरिए चुना व आज उसी पर आगे बढ़ रहे हैं।