शानदार पहल : चंदौली जिले में पराली प्रबंधन के लिए खरीदिए यंत्र, पाइए 80 फीसदी की सब्सिडी
 

 

चंदौली जिले में कृषि विभाग पराली की समस्या से निपटने के लिए किसानों को मदद करने जा रहा है। पराली प्रबंधन सिखाने के साथ प्रबंधन में प्रयोग में लाए जाने वाले अनुदान देने की व्यवस्था कर रहा है।

बताया जा रहा है कि किसानों की मदद की जाएगी। एक लाख तक की कृषि यंत्र खरीदने पर 40 से 80 फीसदी थी। सबसे दूर जाएगी एक और पराली जलाने की समस्या से मुक्ति मिलेगी। वहीं प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। साथ ही साथ किसान इसके लिए प्रेरित होंगे और प्रबंधन का प्रचार प्रसार होगा।

कहा जा रहा है किसान धान की फसल अवशेष को खेत में जलाने की बजाय इसे जोतकर मिट्टी में मिला सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। इसको लेकर शासन ने भी पहल की है। 

प्रदूषण की मात्रा अभी नियंत्रण में

कहा जा रहा है कि पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा अभी नियंत्रण में है, हालांकि अक्टूबर में इसका ग्राफ बढ़ जाने की उम्मीद है। इसके लिए दीपावली पर पटाखे जलाने और खेतों की धान की पराली जलाना अहम कारक बन सकता है। कहा जा रहा है कि उत्तर भारत के कई प्रदेशों में किसान फसल अवशेष को खेतों में जलाते हैं। इससे उठने वाले धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जाती है। इसी कारण एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बढ़कर 125 के पार पहुंच जाता है। यह जनजीवन के लिए घातक साबित होता है। उच्चतम न्यायालय ने खेतों में पराली जलाने पर रोक लगा दी है। इसका उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता रहा है। वहीं कई जगहों पर जुर्माना भी लगाया जाता है। अब इस तरह की सुविधा का लाभ उठाकर किसान इससे बच सकते हैं। 

इन यंत्रों को खरीदने पर मिलेगा अनुदान

वैज्ञानिकों ने मल्चर, स्ट्रा-चॉपर, ड्राई डिस्क समेत कई ऐसे यंत्र विकसित कर दिए हैं, जिनकी मदद से किसान पराली को जलाने की बजाए खेतों की जुताई, कटाई कर मिट्टी में मिलाने की सुविधा मिल सकती है। या पराली से चारा बना सकते हैं। जोते गए धान के ठूंठ को रबी फसलों की सिंचाई के दौरान सड़ा करके जैविक खाद भी बना सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और किसानों को फसल का भरपूर उत्पादन मिलेगा। किसान एक लाख तक की लागत के कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। इस पर उन्हें अच्छा-खासा अनुदान मिलेगा। 

वेस्ट डी-कंपोजर होगा कारगर

पराली को सड़ाकर जैविक खाद बनाने के लिए वेस्ट डी-कंपोजर का सहारा लिया जा रहा है। कृषि विभाग किसानों को वेस्ट डी-कंपोजर उपलब्ध कराएगा। किसानों को खेत में जगह-जगह पराली इकट्ठा कर इस पर वेस्ट डी-कंपोजर का छिड़काव करना होगा। विभाग का दावा है कि एक पखवारे में पराली सड़ जाएगी। किसान इसे उठाकर आसानी से खेत में फेंक सकते हैं। मिट्टी से साथ मिलकर यह जैविक खाद का रूप ले लेगी। ऐसे में किसान को रबी फसलों में कम खाद का इस्तेमाल करना होगा। 

फार्म मशीनरी बैंक पर भी अनुदान


उप निदेशक कृषि विजेंद्र कुमार ने बताया कि पराली प्रबंधन व फार्म मशीनरी की स्थापना के लिए अनुदान दिया जा रहा है। फार्म मशीनरी के तहत पांच लाख व पराली निस्तारण को एक लाख की लागत तक के कृषि यंत्र खरीदे जा सकते हैं। फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना पर पांच में चार लाख रुपये सब्सिडी मिलेगी। सहकारी व ग्राम पंचायत समितियां भी अपने स्तर से यंत्रों की खरीद सकती हैं।