अगर आप भी चाहते हैं आम की अच्छी फसल तो पेड़ों पर करें दवा का छिड़काव
चंदौली जिले में आम के पौधों में आम के बौर आ गए हैं। मौसम में बदलाव के कारण मौजूदा समय में बौर में भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। इसको लेकर बागवान चिंतित हैं।
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो समय से इसकी रोकथाम कर ली जाए तो अच्छे फल आएंगे और दाम अच्छे मिलेंगे। फलों के साथ प्राप्त फलों की गुणवत्ता के चलते बागवानों को अच्छे दाम मिल जाते हैं। कीट से बचाव के लिए दवाओं के छिड़काव करने की जरूरत है।
जनपद में लगभग 500 हेक्टेयर में आम का बगीचा है। भुनगा कीट का प्रयोग नई कोपलों, इससे बनने वाले छोटे-छोटे फलों में होता है। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है। ये कीट प्रकोप वाले हिस्से पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं। इसके चलते पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जमा हो जाती है। वहीं, पत्तियों द्वारा होने वाला प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। इससे बौर को उसका भोजन (आहार) नहीं मिल पाता है।
मिज कीट से फल और डंठल पर सफेद चूर्ण जैसी फफूंद दिखाई देती है। इस रोग की चपेट में आया हिस्सा पहले पीला हो जाता है। इसके बाद मंजरियां सूखने लगती हैं। आम को भुनगा व मिज कीट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड तीन मिली प्रति लीटर पानी या क्लोरपांइरीफास या डायमेथोएट दो मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाए तो कीट का प्रकोप समाप्त हो जाता है। इससे अच्छे फल होंगे और अच्छा लाभ मिलेगा। इस समय बौर की देख रेख अनिवार्य है।