..तो क्या अबकी बार भी बच जाएंगे गोपाल सिंह उर्फ बबलू, कौन बनेगा मददगार
चंदौली जिले में भारतीय जनता पार्टी के करीबी और चहनियां इलाके के जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह उर्फ बबलू के उपर सत्तापक्ष के कई खास लोगों का हाथ है। तभी तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफसरों पर ही गाज गिरती है और जिला पंचायत सदस्य अपने भौकाली रुतबे के कारण बचते रहते हैं। पर ऐसा लगता है कि अबकी बार भाई के साथ बुरे फंसे हैं। बाकी कहानी वायरल ऑडियो भी बता दे रहा है।
चंदौली जिले के बलुआ थाने में जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ दर्ज आधे दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने की चर्चा है और जिले के अन्य थानों में भी इसके पहले कई मामलों में नाम चर्चा में आता रहा है। अब जेई दीपक सिंह के गायब होने में नाम आते ही इनके नए कारनामे की पोल खुलने लगी है।
आप सभी को याद होगा पपौरा में तालाब पर मकान, खडेहरा में भी ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा करने का प्रकरण चल ही रहा है और भाजपा विधायक के भौकाल से उनके उपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। आरोपित नेताजी का नाम गांजे बिक्री व तस्करी में भी आ चुका है। इन सबके बावजूद जातीय समीकरण बैठाकर विधायक जी ऐसे सफेदपोशों के संरक्षण का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।
आप सबने जिले में देखा होगा कि किस तरह से तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेमप्रकाश मीणा की जांच के बाद पपौरा निवासी जिला पंचायत सदस्य गोपाल सिंह उर्फ बबलू का नाम सरकारी दस्तावेजों में भूमाफिया के रूप में शुमार हो गया था। उन्होंने बलुआ थाने में दर्ज नौ मुकदमों में कार्रवाई आगे बढ़ा दी थी। हालांकि सफेदपोशों के दबाव के चलते भूमाफिया के खिलाफ चल रही कार्रवाई की फाइल दबा दी गई। नेताजी के ही दबाव में पुलिस कार्रवाई भी नहीं कर पाती है।
अब जब जेई के अपहरण के मामले में बबलू सिंह का नाम आने के बाद एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है तो देखना है कि भाजपा के नेता व विधायक किस तरह से अपने खासमखास की मदद करते हैं।
वैसे योगी सरकार के द्वारा अवैध कब्जेदारों व माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने की बात तो जोरशोर से प्रचारित प्रसारित की जाती रही है, लेकिन जब किसी का भाजपा से कनेक्शन निकल जाता है तो सारे मामले दबा दिए जाते हैं।