नागपंचमी पर 'सर फोड़ परंपरा' रोकने की कोशिश, पुलिस ने की अपील और निगरानी का ऐलान

थाना प्रभारी ने बताया कि नागपंचमी के दिन पूरे क्षेत्र में विशेष निगरानी रखी जाएगी। दोनों गांवों की सीमाओं को सील किया जाएगा और भारी पुलिस बल की तैनाती होगी।
 

हर साल गांव में होती है पत्थरबाजी

नागपंचमी के दिन पूरे क्षेत्र में विशेष निगरानी

बलुआ थाना प्रभारी डॉ. आशीष मिश्रा ने बैठक करके दी नसीहत

चंदौली जिले में नागपंचमी के अवसर पर चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र स्थित बिसुपुर और महुआरीखास गांवों के बीच वर्षों से चली आ रही एक विचित्र और खतरनाक परंपरा ‘सर फोड़ने’को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया है। इस परंपरा के अंतर्गत दोनों गांवों के ग्रामीण आपसी रिवाज के तहत एक-दूसरे पर पत्थरबाजी करते हैं, जो तब तक चलता है जब तक किसी के सिर से खून न निकल आए।

इसी कुप्रथा को रोकने के उद्देश्य से रविवार शाम बिसुपुर गांव के पंचायत भवन पर दोनों गांवों के सम्मानित नागरिकों और ग्रामीणों की मौजूदगी में बलुआ थाना प्रभारी डॉ. आशीष मिश्रा ने बैठक की। बैठक में उन्होंने अपील करते हुए कहा, "आप अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का निर्वहन कीजिए, लेकिन ‘सर फोड़ने’ जैसी हिंसात्मक परंपरा अब बंद होनी चाहिए। यह न केवल समाज में द्वेष फैलाती है बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा है।"

थाना प्रभारी ने बताया कि नागपंचमी के दिन पूरे क्षेत्र में विशेष निगरानी रखी जाएगी। दोनों गांवों की सीमाओं को सील किया जाएगा और भारी पुलिस बल की तैनाती होगी। साथ ही, पूरे आयोजन की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का भी सहारा लिया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की अशांति या हिंसा की स्थिति को समय रहते रोका जा सके।

गौरतलब है कि नागपंचमी के दिन सुबह दोनों गांवों की महिलाएं मंदिरों में पूजा-अर्चना करती हैं, फिर कजरी गीतों का आयोजन होता है। दोपहर के बाद एकत्र होकर महिलाएं फूहड़ गालियों के जरिए पुरुषों को उकसाती हैं, जिससे हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है।

बैठक में प्रधानपति सुदामा राम, बीडीसी सदस्य नरेंद्र गुप्ता, विंध्याचल तिवारी, महेंद्र कुमार, अरविंद सिंह, अभिषेक यादव, ओम प्रकाश, मनोज यादव, अजीत सिंह और जोखन राम सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने इस खतरनाक परंपरा को बंद करने की दिशा में प्रशासन का सहयोग करने का आश्वासन दिया।