कमालपुर हिंदू सम्मेलन में बोले जगद्गुरु स्वामी अनंतानंद: जाति-पाति भुलाकर एक हों हिंदू,  युवाओं को दिया मंत्र

 

कमालपुर के राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में आयोजित भव्य हिंदू सम्मेलन में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनंतानंद सरस्वती ने समाज को संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने राष्ट्र की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक सुरक्षा के लिए हिंदुत्व को अनिवार्य बताया।

 
 

कमालपुर में भव्य हिंदू सम्मेलन आयोजित

जगद्गुरु स्वामी अनंतानंद का प्रेरक संबोधन

राष्ट्र की एकता और अखंडता पर जोर

जातिवाद और छुआछूत मिटाने का संकल्प

 चंदौली जनपद अंतर्गत कमालपुर स्थित राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के परिसर में शुक्रवार को सकल हिंदू समाज के तत्वावधान में एक विशाल हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और राष्ट्र की अखंडता को सुदृढ़ बनाने के लिए वैचारिक मंथन करना था। कार्यक्रम का गरिमामयी शुभारंभ मुख्य अतिथि अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनंतानंद सरस्वती राजगुरु, पीठाधीश्वर काशी द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस सम्मेलन में क्षेत्र के हजारों प्रबुद्ध नागरिकों और युवाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर एकता का संकल्प लिया।

हिंदुत्व और वैश्विक मार्गदर्शन पर शंकराचार्य के विचार
अपने ओजस्वी संबोधन में जगद्गुरु स्वामी अनंतानंद सरस्वती राजगुरु ने हिंदुत्व की व्यापक परिभाषा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म सबको अपना मानने और सबके कल्याण की भावना पर आधारित है, और यही वास्तविक हिंदुत्व है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि आज समय की मांग है कि युवा शक्ति संगठित होकर भारत माता की आवाज को वैश्विक पटल पर बुलंद करे। स्वामी जी ने जोर देकर कहा कि वर्तमान में पूरी दुनिया शांति और मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रही है, ऐसे में हिंदुओं को संगठित होकर देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाना होगा।

सामाजिक कुरीतियों का त्याग और एकता की आवश्यकता
शंकराचार्य जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव जैसी कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि हिंदू समाज ऐसी संकीर्ण सोच में विश्वास नहीं करता। उन्होंने स्पष्ट किया कि समस्याओं पर केवल चर्चा करने और समय गंवाने के बजाय, समाज को उनके प्रभावी समाधान खोजने की दिशा में कार्य करना चाहिए। भारत की एकता, अखंडता और हमारी गौरवशाली संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए सामाजिक समरसता अनिवार्य है। जब समाज आंतरिक रूप से मजबूत और संगठित होगा, तभी देश बाहरी चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकेगा और अपनी सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रख पाएगा।

धर्म और राष्ट्र रक्षा के लिए जनजागरण का आह्वान
कार्यक्रम में गौ सेवा रक्षक अरविंद सिंह ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हिंदुत्व ही भारतीयता की मूल पहचान है। उन्होंने आगाह किया कि कुछ असामाजिक शक्तियां हिंदुओं को जाति और पंथ के नाम पर बांटने का निरंतर प्रयास कर रही हैं, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। अपनी गौरवशाली परंपराओं को धारण करना ही वास्तविक धर्म है। कार्यक्रम के अंत में संयोजक सुशील सिंह जनौली ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विधायक सुशील सिंह, ब्लॉक प्रमुख अजय सिंह सहित क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने एक स्वर में राष्ट्र की एकता के लिए कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई।