दो नदियों के कटान से बेघर होने को मजबूर हैं महुंजी गांव के ग्रामीण

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चन्दौली जिले के पुर्वोत्तर इलाके के अन्तिम गांव महुंजी गांव के कई निवासी आज बेघर होने को मजबूर हैं, जबकि प्रशासन द्वारा इनकी व्यथा सुनना तो दूर देखना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा है। दरसल यह मामला जिले के महुजी गांव में गंगा नदी एवं एक अगहर बीर बहुरिया नदी के बीच बसा हुए
 

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चन्दौली जिले के पुर्वोत्तर इलाके के अन्तिम गांव महुंजी गांव के कई निवासी आज बेघर होने को मजबूर हैं, जबकि प्रशासन द्वारा इनकी व्यथा सुनना तो दूर देखना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा है।

दरसल यह मामला जिले के महुजी गांव में गंगा नदी एवं एक अगहर बीर बहुरिया नदी के बीच बसा हुए गांव का है। बरसात के दिनों में दोनों नदियां जब अपना रौद्र रुप दिखाती हैं तब गांव तक पानी पहुंच जाता है। यही नही गंगा तो ऐसी तबाही मचाती हैं कि प्रतिवर्ष कई एकड़ सिंचित जमीन को स्वयं के अंदर विलीन कर लेती है। ऐसे में गांव निवासियों के आय का प्रमुख स्रोत किसानी पर भी ग्रहण लगता दिखने लगा है।

बताते चलें कि इस गांव में सबसे अधिक दलित व निषाद जाति के लोग रहते हैं, जो अति गरीब हैं । जहां निषाद जाति के लोग मछली मारकर व दलित जाति के लोग मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं।

इस स्थिति में बरसात के चार महीने इनका जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। ऐसे में आजिज आकर ग्रामीणों द्वारा गंगा तट पर प्रर्दशन कर कटाव रोकने की व्यवस्था करने की मांग की गयी । साथ ही मांगे न माने जाने पर बडा आन्दोलन करने की चेतावनी भी दी गयी।