सकलडीहा पीजी कॉलेज में मनाया गया मानसिक स्वास्थ्य दिवस
 

मनोविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉक्टर सीता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक विकार में अवसाद दुनिया भर में सबसे बड़ी समस्या है। यह कई सामाजिक समस्याओं जैसे बेरोजगारी गरीबी नशाखोरी घरेलू हिंसा आदि को जन्म देती है।
 

मानसिक स्वास्थ्य व मानसिक समस्याओं की जानकारी

मनोविज्ञान विभाग की ओर से किया गया आयोजन

इन प्रोफेसर ने दी रोगों की जानकारी

चंदौली जिले के सकलडीहा पीजी कॉलेज में आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा दिवस के उपलक्ष में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गयी। साथ ही साथ लोगों को इस संदर्भ में जागरुक होने के लिए बताया गया।

 कार्यक्रम का आयोजन मनोविज्ञान विभाग की ओर से विभाग प्रभारी डॉक्टर सीता मिश्रा एवं संयोजिका डॉक्टर वंदना जी ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य  प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडेय  ने मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम -मानसिक स्वास्थ्य एक स्वस्थ सार्वभौमिक अधिकार है..के  विषय पर उपस्थित प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं के बीच में अपनी बात रखी।

प्रदीप कुमार ने कहा कि आज के भाग दौड़ से भरा जीवन में मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता के विविध पहलुओं पर ध्यान देने की जरुरत है, जिसमें घरेलू हिंसा, वाद- विवाद, समाज में बढ़ रही विकृति, मोबाइल सोशल मीडिया की क्षद्म, दिशाहीन तथ्यों के प्रति बालक बालिकाओं में बढ़ता रुझान, आदि मानसिक स्वास्थ्य को अवरुद्ध कर रहा है। ऐसी स्थिति में युवा पीढ़ी को अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए इससे संबंधित शिक्षा की नितांत आवश्यकता है।

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः हमें यह प्रयास करना चाहिए कि अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक उपचारात्मक बोधगम्य शिक्षा की नितांत आवश्यकता है। अतः मानसिक स्वास्थ्य सभी लोगों का अधिकार है तथा हमें हमारी मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।

प्रोफेसर पी .के. सिंह ने गोष्ठी को आगे बढ़ते हुए कुछ घटित घटनाओं के उदाहरण दिए, जिनमें कुछ समय पूर्व बॉलीवुड के लोकप्रिय एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या कहीं ना कहीं एक मानसिक बीमारी ही थी, जिसके वशीभूत उन्होंने आत्महत्या किया।  अतः आज के परिवेश में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। अतः स्वास्थ्य का अर्थ मात्र रोग की अनुपस्थित अथवा शारीरिक स्वस्थता नहीं होता। इसे पूर्ण रूपेण शारीरिक मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के रूप में जागरूकता नितांत आवश्यक है।

मनोविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉक्टर सीता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक विकार में अवसाद दुनिया भर में सबसे बड़ी समस्या है। यह कई सामाजिक समस्याओं जैसे बेरोजगारी गरीबी नशाखोरी घरेलू हिंसा आदि को जन्म देती है।

मानसिक रोगों के विभिन्न प्रकारों के तहत अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया चिंता आर्टिज्म डिस्लेक्सिया डिप्रेशन नशे की लत कमजोर यादाश्त भूलने की बीमारी एवं भ्रम आदि आते हैं। यह सभी लक्षण भावनाओं विचारों और व्यवहार को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

कार्यक्रम संयोजिका डॉक्टर वंदना ने अपने विचार रखते हुए बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत का 7:30 फ़ीसदी आबादी किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये आशंका व्यक्त की है कि दुनिया भर में अवसाद दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। 15 से 29 वर्ष की आयु में लोगों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है जो मानसिक बीमारी का परिचायक है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों जिनमें कई बार आर्थिक एवं नैतिक पहलू इसके अभिर्भाव में उत्तरदायी परिस्थितियों का निर्माण करते हैं।

गोष्ठी की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर प्रदीप कुमार पांडे ने किया तथा संचालन डॉक्टर वंदना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अभय कुमार वर्मा ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के कई वरिष्ठ प्राध्यापक तथा छात्र -छात्राएं उपस्थित थे।

महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा से संबंधित आकर्षक पोस्टर का प्रदर्शन कर जागरूकता अभियान के तहत एक रैली भी निकाली।