BDO साहब-प्रमुख जी..जरा इस पर दीजिए ध्यान, धानापुर में 30 लाख खर्च करने से क्या फायदा..कूड़ा निस्तारण योजना हो रही फेल

धानापुर में लाखों खर्च के बावजूद कस्बे में गंदगी का अंबार
स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर खानापूर्ति
ग्राम पंचायतों में आरआरसी सेंटर बनते जा रहे हैं शोपीस
कई गांवों से सफाई कर्मचारी भी रहते हैं नदारद
चंदौली जिले के धानापुर में लाखों रुपये खर्च कर ग्राम पंचायतों में बनाए गए एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र निष्प्रयोज्य होकर रह गए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को ओडीएफ प्लस और कचरा मुक्त बनाने के लिए आरआरसी सेंटरों का निर्माण कराया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके परे है। योजना के क्रियान्वयन में खामियों के चलते केंद्र शोपीस बनकर रह गए हैं।
आपको बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को स्वच्छ रखने के लिए ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये खर्च कर एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाया गया, लेकिन कागजों में इसकी खाना पूर्ति की जा रही है। योजना सफल हो रही कि नहीं, यह देखने वाला कोई नहीं है। आलम यह कि गांव के लोगों को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है। योजना के तहत तरल व ठोस कचरे को अलग-अलग गांव के लोग रखेंगे। कर्मचारी गाड़ी से जाकर घर-घर कूड़ा लेकर निस्तारण केंद्र तक पहुंचाएगा।
बताते चलें कि इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि धानापुर ग्राम पंचायत में कूड़ा से ग्रामीणों को मुक्ति दिलाने और उसका लाभ लोगो तक पहुंचाने के लिए लगभग तीस लाख रुपए सरकारी धन का उपयोग किया गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। आरआरसी सेंटर के निर्माण में कुल 16 लाख रुपए खर्च किए गए। इसमें बाउंड्रीवाल, शौचालय आदि भी शामिल है। यही नहीं कूड़ा उठान के लिए बैटरी संचालित डेढ़ लाख रुपए की लागत के कुल चार वाहन खरीदे गए जो घर-घर कूड़ा उठान करेंगे। वाहन कहां है और किस हाल में हैं यह बताने वाला कोई नहीं है।
ग्राम सभा के कुल 117 स्थान पर कचरा पात्र बनाए गए जबकि एक कचरा पात्र को बनाए जाने पर लगभग 6 हजार रुपए खर्च किए गए। ग्राम सभा में कचरा पात्र बनाए जाने पर कुल सात लाख रुपए खर्च करने के वावजूद ग्राम सभा में जहां भी कचरा पात्र बना है, वहां कूड़े का ढेर लगा है।
इस संबंध में एडीओ पंचायत राजेश सिंह ने बताया कि 84 ग्राम सभा वाले ब्लाक में अभी कुल 15 स्थान पर आरआरसी सेंटर का निर्माण नहीं हो पाया है। प्रबंधन केंद्र का उपयोग नहीं होने के सवाल पर कहा कि शीघ्र ही ग्राम पंचायतों की समीक्षा होगी। वहां के केयर टेकर को सक्रिय किया जाएगा। काम नहीं करने वाले केयर टेकरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।