व्यापार मंडल सकलडीहा के दोनों प्रत्याशी बने अध्यक्ष, एक ने हासिल की जीत तो दूसरे ने बदला पाला

प्रत्याशी दिलीप गुप्ता ने व्यापारियों के दूसरे गुट उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल का दामन थामते हुए कस्बा सकलडीहा के अध्यक्ष बन गए। पूर्व विधायक साधना सिंह के नेतृत्व वाले इस गुट के वह सदस्य मनोनीत किए गए हैं। बाकायदा इनका शपथ ग्रहण भी करा दिया गया।
 

अध्यक्ष बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे दिलीप गुप्ता

अपना गुट छोड़कर नए के बने अध्यक्ष

साधना सिंह ने दिलायी शपथ

कृष्णा सेठ भी  392 वोट पाकर जीत गए चुनाव

लक्ष्मीकांत अग्रहरी ने दी बधाई  

चंदौली जिले के सकलडीहा व्यापार मंडल का जलवा निराला है। व्यापार मंडल पर कई सालों से कब्जा जमाए बैठे सत्य प्रकाश गुप्ता अपने खासमखास को इस कुर्सी पर बैठाने की पूरी गुणा गणित लगाए हुए थे।  लेकिन जमीनी हकीकत उनके कंडीडेट के पक्ष में नहीं थी। इसीलिए वह चुनाव की जगह मनोनयन चाहते थे। लेकिन चुनाव के लिए नामांकन कर चुके दोनों कंडीडेट अध्यक्ष बनना चाहते थे और एक दूसरे को समर्थन भी नहीं दे रहे थे।  ऐसे में एक नया खेल हो गया।

चुनाव मैदान में दिलीप गुप्ता एवं कृष्ण सेठ के बीच अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला होना था। पुराने अध्यक्ष सत्य प्रकाश गुप्ता के सहयोग से ताल ठोकने वाले दिलीप गुप्ता को जब यह लगा कि वह चुनाव होने पर किसी भी हालत में जीत नहीं सकते हैं तो वह एक नए संगठन की सदस्यता लेना मुनासिब समझा। प्रत्याशी दिलीप गुप्ता ने व्यापारियों के दूसरे गुट उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल का दामन थामते हुए कस्बा सकलडीहा के अध्यक्ष बन गए। पूर्व विधायक साधना सिंह के नेतृत्व वाले इस गुट के वह सदस्य मनोनीत किए गए हैं। बाकायदा इनका शपथ ग्रहण भी करा दिया गया।

वहीं पहले से जारी चुनावी प्रक्रिया के तहत मंगलवार को पहले गुट व्यापार मंडल प्रतिनिधि ने मतदान कराया। जिसमें कुल 458 मत पड़े। इस दौरान पाला बदलने वाले पूर्व प्रत्याशी दिलीप गुप्ता को भी 45 मत मिल गए । वहीं प्रत्याशी कृष्णा सेठ को  392 मत प्राप्त हुए, जिससे जिलाध्यक्ष एवं चुनाव अधिकारियों द्वारा कृष्णा सेठ को विजयी घोषित करते हुए जुलूस  के साथ कस्बे का भ्रमण कराया गया।

इस दौरान किसी भी अनहोनी की आशंका को लेकर काफी संख्या में पुलिस प्रशासन के लोग मौजूद रहे। अब जरा गौर करियेगा कि व्यापारियों के चुनाव को लेकर दो प्रत्याशियों ने नामांकन किया और दोनों प्रत्याशी अलग-अलग गुट के सकलडीहा के अध्यक्ष बन गए हैं। अब देखना यह है कि वास्तव में व्यापारियों की समस्याओं को लेकर कौन लड़ाई लड़ता है और कौन कितना सक्षम अध्यक्ष साबित होता है।