36 साल पुरानी परंपरा इस साल टूटी, सकलडीहा में नहीं होगी रामलीला और न ही रावण दहन

यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता था, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बे के सैकड़ों छोटे दुकानदारों के लिए रोजगार का भी बड़ा अवसर प्रदान करता था।
 

सकलडीहा में रामलीला पर इस साल विराम

दशहरा के दिन रावण दहन कार्यक्रम स्थगित

36 साल पुरानी परंपरा टूटने से श्रद्धालु हैं निराश

चंदौली जिले के सकलडीहा कस्बे में पिछले 36 वर्षों से आयोजित होने वाली रामलीला और दशहरा के दिन रावण दहन की परंपरा इस साल टूट गई है। दुर्गा पूजा सेवा समिति द्वारा यह ऐतिहासिक कार्यक्रम स्थगित किए जाने से स्थानीय लोग, श्रद्धालु और छोटे व्यापारी निराश और आक्रोशित हैं।

आपको बता दें कि हर साल शारदीय नवरात्र के दौरान दुर्गा पूजा सेवा समिति नौ दिवसीय मां दुर्गा की भव्य झांकी और रामलीला का आयोजन करती थी। दशहरे के दिन रावण दहन में हजारों श्रद्धालु शामिल होते थे। यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता था, बल्कि आसपास के गांवों और कस्बे के सैकड़ों छोटे दुकानदारों के लिए रोजगार का भी बड़ा अवसर प्रदान करता था।

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में कुछ लोगों द्वारा मंदिर परिसर में प्रतिमा स्थापित करने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद के कारण समिति के पदाधिकारी रामलीला और रावण दहन कार्यक्रम आयोजित करने में असमर्थ रहे और उन्होंने इसे स्थगित करने का निर्णय लिया। इस निर्णय से श्रद्धालु और स्थानीय व्यापारी दोनों ही निराश हैं। व्यापारीयों ने कहा कि यह आयोजन उनके लिए आय का एक बड़ा स्रोत था और अब उनकी रोजमर्रा की कमाई प्रभावित होगी।

भक्तों ने प्रशासन और प्रतिष्ठित लोगों की चुप्पी को भी इस विवाद का कारण बताया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस मामले में हस्तक्षेप कर परंपरा को पुनः शुरू कराना चाहिए, ताकि धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बाधा-मुक्त संपन्न हो सकें।

इसके अलावा, प्राचीन दुर्गा माता मंदिर के समीप स्थित हवन कुंड भी विवाद के दौरान टूट गया है। हवन कुंड परंपरागत रूप से नवरात्र के अंतिम दिन हवन-पूजन के लिए इस्तेमाल होता था। भक्तों ने प्रशासन से इसे जल्द पुनर्निर्मित करने की मांग की है।

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की आशा है कि प्रशासन शीघ्र इस मामले का समाधान करेगा और 36 साल पुरानी यह सांस्कृतिक परंपरा फिर से जीवित होगी।