बाबूजी धीरे चलिए..यह बसपा है, याद कर लीजिए विधानसभा चुनाव 2017 की यह घटना
 

चंदौली जिले में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सकलडीहा विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे जय श्याम तिवारी जोर शोर से अपने इलाके में इस तरह से प्रचार कर रहे हैं,
 

बसपा के टिकट के दावेदारों का उत्साह देख होने लगी है चर्चा

लोग याद कर रहे हैं 2017 वाली पुरानी कहानी

 

चंदौली जिले में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सकलडीहा विधानसभा से चुनाव (381 Sakaldiha Vidhansabha Election 2022) लड़ने की तैयारी कर रहे जय श्याम तिवारी (Jay Shyam Tiwari) जोर शोर से अपने इलाके में इस तरह से प्रचार कर रहे हैं, जैसे उन्हें बहुजन समाज पार्टी का टिकट ही मिल गया है। लेकिन शायद वह बहुजन समाज पार्टी के इतिहास को नहीं जानते इस तरह से ओवर कॉन्फिडेंस में रहने वाले नेता कभी-कभी बसपा के झटके के भी शिकार हो जाते हैं।

 आपको याद होगा कि 2012 में विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कुछ इसी तरह की तेजी तत्कालीन बसपा नेता और उपेंद्र सिंह गुड्डू ने दिखाई थी और जमकर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार प्रसार किया है। उनका प्रचार प्रसार देखकर लग रहा था कि वह बहुत आसानी से विधानसभा चुनाव जीत जाएंगे। उनको भी लगता था कि बिरादरी के वोटों के साथ साथ बहुजन समाज पार्टी के बेस वोट के जरिए वह विधायक बन जाएंगे। 

 लेकिन बीच में उनका टिकट किसी कारण से लटक गया और पूरे इलाके में बात आग की तरह फैल गयी कि उपेन्द्र सिंह गुड्डू का टिकट कट गया। उसके बाद दौड़ भाग करके उन्होंने अपना मैनेजमेंट किया। तब जाकर वह चुनाव लड़ पाए। इसी का नतीजा यह हुआ कि बहुजन समाज पार्टी टक्कर देने की कौन कहे, तीसरे स्थान पर खिसक गई।

आपको बता दें कि 2017 में समाजवादी पार्टी के प्रभुनारायण यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी सूर्यमुनि तिवारी को करीब 15 हजार मतों के अंतर से हराया था। बीएसपी के उपेंद्र सिंह गुड्डू तीसरे नंबर पर रहे थे। यादव को 79,875 वोट (39.47%), सूर्यमुनी तिवारी को 64,906 वोट (32.07 प्रतिशत) और उपेंद्र को 52,175 वोट (25.78%) मिले थे। 

इस चुनाव में सपा विधायक प्रभुनारायण यादव 79,875 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के प्रत्याशी सूर्यमुनी तिवारी को 64,906 वोट व बसपा के उम्मीदवार उपेन्द्र सिंह गुड्डू को केवल 53,175 से संतोष करना पड़ा था। तब लोग यही कहते रहे कि उपेन्द्र सिंह गुड्डू टिकट की खींचतान के दौरान पिछड़ गए थे और उसके बाद वह रेस से बाहर होते गए।

 कुछ ऐसी ही चर्चा आजकल जयय श्याम तिवारी को लेकर हो रही है कि अपना टिकट पक्का मानकर तिवारीजी प्रतिदिन अपने साथ कुछ कार्यकर्ताओं को लेकर विधानसभा क्षेत्र के इलाके में निकल पड़ते हैं। विधानसभा के हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में शिरकत करते हैं और अपने आप को संभावित प्रत्याशी कह कर वोट मांगते हैं, ताकि अपने पक्ष में माहौल बना सकें। वही उनके प्रचार प्रसार के तरीके और अपने आप को प्रत्याशी के तौर पर पेश करने की स्टाइल पर लोगों ने अलग-अलग तरह की टिप्पणी की है।

 एक पार्टी के कार्यकर्ता ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी में जब तक टिकट की घोषणा न हो जाए तब तक उसे कंडीडेट नहीं कहा जाना चाहिए। जब तक पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार नामांकन न कर ले, तब तक कुछ भी संभव है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को खुद प्रत्याशी के तौर पर पेश करके जोर शोर से तैयारी करना नहीं चाहिए।

 एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि यह बहुजन समाज पार्टी है यहां हाथी की सवारी करने वाले लोग हमेशा खतरे में रहते हैं। कब हाथी उनको पीठ से उतार कर नीचे पटक दे यह कोई ठीक नहीं है। इसलिए बहुजन समाज पार्टी का हर नेता और कार्यकर्ता हमेशा पार्टी के खतरे से वाकिफ रहता है और हर काम बहुत सोच समझकर करता है।

 हालांकि बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष का कहना है कि चंदौली जिले में 3 सीटों पर टिकट की घोषणा भले भले नहीं हुई है, लेकिन इन्हें ही प्रभारी प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा है और जैसा पार्टी का निर्देश होगा वैसा ही कार्य किया जाएगा।

 इस बात से साफ है कि जिला अध्यक्ष भी अभी इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं क्योंकि दूसरे दल के टिकट पर बहुजन समाज पार्टी का टिकट निर्भर करेगा। वहीं दूसरे दल भी इस बात की फिराक में रहेंगे कि बहुजन समाज पार्टी के टिकट घोषित होने के बाद ही वह अपना पत्ता खोलें, ताकि वोटों का बिखराव रोका जा सके और अपने दल के उम्मीदवार को जीत दिलायी जा सके।