चर्चा है : महंगी पड़ी ADG साहब के सामने तीरंदाजी, ASP साहब की खूब हुयी है किरकिरी

जिले में पुलिस अधिकारियों के किस्से को कार्यालयों में बैठकर चटकारे लेकर सुना रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि विभाग की किरकिरी कराने वाले साहब अक्सर अपनी हरकतों से मीडिया को मसाला दे दे रहे हैं। 

 

क्या करें साहब का दिल है कि मानता नहीं,

सभी को सुनाने लगते हैं अपने शगूफे,

कभी-कभी फंस जाती है पेंच तो हो जाते हैं शर्मसार

चंदौली जिले के सैयदराजा में लूट की घटना के साथ साथ अन्य बड़ी वारदातें कब खुलेंगी.. इसको लेकर पुलिस के तेज तर्रार लोग गुणा-गणित लगा रहे हैं, तो कुछ लोग जिले में पुलिस अधिकारियों के किस्से को कार्यालयों में बैठकर चटकारे लेकर सुना रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि विभाग की किरकिरी कराने वाले साहब अक्सर अपनी हरकतों से मीडिया को मसाला दे दे रहे हैं। 

एडीजी साहब के दौरे में तीरंदाज बनने वाले अपर पुलिस अधीक्षक महोदय की जमकर किरकिरी हुयी। चंदौली जिले में पुलिस क्षेत्राधिकारी के सकलडीहा के रुप में काम करने के बाद जब से दोबारा चंदौली जिले में अपर पुलिस अधीक्षक के रुप में तैनाती मिली है, तब से साहब दरबार लगाकर लोगों को अपनी बहादुरी के किस्से सुनाते रहते हैं। इसके पहले भी उनकी इसके लिए किरकिरी हो चुकी है, लेकिन क्या करें आदत है कि छूटती नहीं है। 

चंदौली में एडीजी साहब पुलिस अधीक्षक के साथ मीटिंग लेते हुए।

वैसे तो साहब को कप्तान साहब के न रहने पर पब्लिक डीलिंग का काम दिया जाता है, लेकिन साहब की डीलिंग का अंदाज ऐसा है कि फरियादी थोड़ा सा सहनशील न तो ऑफिस में तू-तू-मैं-मैं होनी तय है। साहब कई बार पीड़ितों के सामने ऐसी दलील पेश कर देते हैं या ऐसी बात बोल देते हैं, जिससे उनका गुस्सा भड़कना स्वाभाविक ही है। वहीं जब बात फंसने लगती है तो तत्काल लैपटॉप खोल कर बदमाशों को सर्विलांस पर खोजने लगते हैं।

इतना ही नहीं मौका मिलने पर मातहतों की मीटिंग में भी जमकर बहादुरी के किस्से सुनाते हैं और तरह तरह की दलील देते हैं, जिसको अक्सर लोग एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं।  

सैयदराजा में 13 लाख 50 हजार की लूट हुयी तो साहब वीआईपी ड्यूटी में गए थे। मौके पर कुछ रोज बाद पहुंचे तो अपनी तेजी दिखाने की भरपूर कोशिश की। पहले आईजी और फिर एडीजी साहब पहुंचे तो साहब ने अपनी तेज तर्रार छबि व कार्यशैली जबानी पेश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। 

चंदौली में जब एडीजी साहब ने मीटिंग ली तो  अपर पुलिस अधीक्षक महोदय ने सारे मातहतों और आलाहाकिम के सामने ऐसी दलील रखी जो एडीजी साहब को शायद अच्छी नहीं लगी तो उन्होंने अपर पुलिस अधीक्षक महोदय को पहले तो बड़े प्यार से समझाया और जब यह लगा कि कुछ और कायदे से बताने की जरूरत है तो साहब को एक नमूना भी पेश करके दिखा दिया, जिससे साहब की बोलती बंद हो गयी। पुलिस की कार्यशैली और काम को परखने वाले वाली तकनीकि ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया। साहब अगर ईमानदारी से काम किए होते तो शायद यह किरकिरी न होती।

आजकल यह चर्चा चंदौली पुलिस महकमे व पुलिस लाइन में जोरों से चल रही है कि अपर पुलिस अधीक्षक साहब जिले को या तो समझ नहीं पाए हैं या जरुरत से ज्यादा समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे अक्सर उनकी पर्दे के पीछे वाली पोल पट्टी भी खुल जाया करती है। 

चंदौली जिले में मातहतों से घर के जरूरी व उपयोगी सामान मंगाने की खबरें पहले ही चर्चा में ला चुके हैं। अब वह नयी करामात से सुर्खियों में छाए हैं।