500 से 1000 हजार लेकर जिला अस्पताल में किया जाता है सीटी स्कैन, देख लीजिए ताजा मामला
मोटी रकम लेकर दलाल कराते हैं काम
एक डॉक्टर मना करता है तो दूसरा पैसे लेकर लिखता है
जिला चिकित्सालय में खेला जा रहा है गरीबों से वसूली का खेल
चंदौली के जिला चिकित्सालय में दलालों व चिकित्सकों के मिलीभगत से मरीजों के साथ दलाली कर सिटी स्कैन कराने का मामला प्रकाश में आया है। मरीज द्वारा लिखित रूप से रजिस्टर में शिकायत दर्ज कराई गई है।
आपको बता दें कि चंदौली जनपद के जिला मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन कराने के लिए दलालों को लगाया गया है, जिससे आए दिन मरीजों को जलालत झेलनी पड़ रही है।
ताजा मामला बुधवार का बताया जा रहा है, जहां सैयदराजा की निवासीनी डिगरी पत्नी राजकुमार को जिला चिकित्सालय में चोट लगने के बाद परिजन दिखाने आए थे। जब डाक्टरों द्वारा सिटी स्कैन नहीं लिखा गया, तब मरीज सीटी स्कैन कराने के लिए सीधे सीटी स्कैन सेंटर पहुंचा तो वहां डॉक्टरों से लिखवाने के बाद ही सीटी स्कैन करने की बात कही गई। उसी दौरान जिला हॉस्पिटल का संविदाकर्मी संतोष नाम का एक व्यक्ति मरीज के परीजनों से मिला और 1000 रुपए की मांगकर सीटी स्कैन कराने की बात कही। उस पर मरीज ने 500 रुपए होने की बात कही और 500 रुपए में मामला तय हो गया।
इसके बाद उस दलाल ने डॉक्टर एके सुमन से सीटी स्कैन लिखवाया और करवाने के लिए सीटी स्कैन सेंटर में भेजा दिया।
सीटी स्कैन प्रभारी प्रशांत गिरी द्वारा जब मरीज से जानना चाहा कि एक बार मना करने पर दोबारा कैसे सीटी स्कैन के लिए डॉक्टर द्वारा लिखा गया तो परिजनों ने सारी बात एके सुमन को बताई और कहा कि मुझसे 500 रुपए लेकर डॉक्टर एके सुमन से दलाल द्वारा सीटी स्कैन लिखवाया गया है। उसके बाद यहां सीटी स्कैन करवाने के लिए भेजा गया। मरीज ने कहा कि वह सुबह से परेशान था और उसके मरीज का सीटी स्कैन नहीं लिखा गया।
अब इसके बाद इस घटना की इसकी लिखित शिकायत मरीज द्वारा शिकायत रजिस्टर में दर्ज कराई गई है। जिला चिकित्सालय में चिकित्सालयकर्मी एवं डॉक्टरों की मिलीभगत से दलाली का धंधा जोरों पर चल रहा है। मरीजों से पैसा ऐंठने के लिए संविदाकर्मियों से लेकर बाहर के दलाल तक लगाए गए हैं, जो मरीजों से संपर्क करके पैसे लेकर सरकारी सुविधाओं को दिलवाने का काम करते हैं।
अब देखना है यह है कि इस शिकायत का क्या होता है। करने पर केवल कागजी कार्रवाई करके मामला निपटाया जाता है या फिर कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।