मोदी के बनारस आने के पहले संतोष पाठक समेत दर्जनों नेता अरेस्ट, जाते ही कोतवाल ने किया फ्री
सिक्स लेन सड़क की मांग को लेकर पीएम से मिलने की योजना
अधिवक्ता संतोष पाठक को किया गया हाउस अरेस्ट
तानाशाही करने पर प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
चंदौली जिले के मुगलसराय में सिक्स लेन सड़क निर्माण की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मिलने जाने की योजना बनाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष कुमार पाठक एडवोकेट और उनके साथियों को स्थानीय प्रशासन द्वारा हाउस अरेस्ट कर दिया गया। यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे से पहले की गई, जब संतोष पाठक ने घोषणा की थी कि वे पीएम को पत्रक सौंपेंगे और सड़क निर्माण की मांग रखेंगे।
शुक्रवार देर रात से ही पाठक और उनके साथियों – दुर्गेश पांडेय, पवन सिंह, चंद्रभूषण मिश्रा, अजय यादव गोलू समेत कुल 13 लोगों को पुलिस ने उनके आवास पर नजरबंद कर दिया। शनिवार सुबह कोतवाल गगन राज सिंह भारी पुलिस बल के साथ उनके चंधासी स्थित आवास पहुंचे और उन्हें अदालत तक जाने से भी रोक दिया गया।
पाठक ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "यह पूरा मामला भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का है। मुगलसराय नगर में सिक्स लेन सड़क की जगह जानबूझकर फोर लेन सड़क बनाई जा रही है, जबकि पहले से ही वहां फोरलेन सड़क मौजूद है। जनता, व्यापारी, छात्र, मरीज – सभी भयंकर जाम से परेशान हैं।"
उन्होंने दावा किया कि वे जनवरी 2025 से आंदोलनरत हैं और अब तक विभिन्न अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को 60 से अधिक पत्र लिख चुके हैं, जिनमें से एक उन्होंने अपने खून से मुख्यमंत्री को लिखा था।
घटनास्थल पर पहुंचे उपजिलाधिकारी अनूप मिश्रा व क्षेत्राधिकारी सदर ने संतोष पाठक से लंबी बातचीत के बाद आश्वासन दिया कि यदि अगली बार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का दौरा होता है, तो उन्हें मिलने का अवसर दिया जाएगा। इस आश्वासन के बाद पाठक ने प्रधानमंत्री को संबोधित पत्रक उपजिलाधिकारी को सौंप दिया।
दुर्गेश पांडेय ने कहा, "अगर प्रशासन इतनी गंभीरता भ्रष्टाचारियों के खिलाफ दिखाता, तो सिक्स लेन सड़क बन चुकी होती।"
चंद्रभूषण मिश्रा ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र में भरोसा रखने वालों को प्रशासन ने तानाशाही रवैये से रोका।
पवन सिंह और अजय यादव गोलू ने प्रशासन पर अतिक्रमणकारियों को बचाने का आरोप लगाया और कहा कि सच बोलने वालों को हाउस अरेस्ट कर सजा दी जा रही है।
प्रधानमंत्री के वाराणसी से रवाना होते ही कोतवाल द्वारा सभी लोगों की नजरबंदी समाप्त करने की घोषणा की गई। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक कार्यशैली और स्थानीय मुद्दों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।