ऐसे पूरे दिन चलती रही कृषि कानूनों के विरोध करने वालों पर कार्रवाई, जानें कहां क्या हुआ
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चंदौली जिले में कृषि कानूनों के विरोध में गुरुवार को रेल रोको आंदोलन को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन दिनभर अलर्ट रहा। किसान संगठनों व विरोध दल रेल रोकने में सफल नहीं हो सके। हालांकि कृषि कानून के विरोध में आवाज बुलंद की गई।
पुलिस ने पहले ही सपा नेताओं को घरों में नजरबंद रखा। वहीं जिला मुख्यालय व चकिया तहसील में प्रदर्शनकारी 60 किसान व वाम दलों के नेताओं को गिरफ्तार किया। नवीन कृषि मंडी में बने अस्थायी जेल से देर शाम निजी मुचलके पर रिहा किया गया।
इस दौरान अखिल भारतीय किसान महासभा ने सदर ब्लाक परिसर में धरना दिया। इसके बाद जुलूस निकालकर कलक्ट्रेट जाने की कोशिश करते समय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सदर एसडीएम विजयनारायण सिंह व कोतवाल अशोक मिश्रा की मौजूदगी में 53 किसानों को नवीन मंडी में बने अस्थाई जेल में भेज दिया गया। जहां से देर शाम निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। किसानों ने राज्यपाल को संबांधित तीन सूत्रीय ज्ञापन भी सौंपा।
किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि विधेयक बिल बनाया गया है। इस कानून से किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।
आरोप लगाया कि आंदोलनरत किसानों की आवाज को दबाने का कुचक्र रची जा रही है। अन्नदाताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है। चेताया कि यदि सरकार तीनों कानूनों को रद्द नहीं करती है, तो इसका खामियाजा सरकार को आने वाले दिनों में भुगतना होगा।
प्रदर्शन करने वालों में किस्मत यादव, शशिकांत सिंह, गुलाबचंद, ठाकुर प्रसाद, शंभू प्रसाद, कृष्णा यादव, कन्हैया यादव, हरिशंकर विश्वकर्मा, रामदुलार बिंद, लालमुनि, श्यामदेई, योगेंद्र प्रसाद, जयनाथ आदि शामिल रहे।
दूसरी ओर चकिया में किसान समंवय संघर्ष समिति के निर्देश पर रेल रोको आंदोलन में सम्मिलित होने जा रहे किसान नेता परमानंद कुशवाहा, लालचंद यादव व अनिल पासवान को कोतवाली पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। कोतवाली में ले आकर पाबंद कर दिया गया।
वहीं आईपीएफ के प्रवक्ता एवं राज्य कार्यसमिति सदस्य अजय राय ने गांधी पार्क में किसान विरोधी कृषि कानून को रद्द करने की मांग करते हुए धरना दिया। उन्होंने कहा कि तीनों काले कृषि कानून को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के किसानों के आंदोलन को पूरे देश में समर्थन मिल रहा है। कार्पोरेट घरानों के सामने नतमस्तक भाजपा सरकार में किसान आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस दौरान धरने में अखिलेश दूबे, वसीम अहमद, विनोद चौहान आदि लोग मौजूद रहे।