इलाहाबाद हाईकोर्ट कसेगा चहनिया ब्लॉक प्रमुख व बबलू सिंह पर शिकंजा, होगी धमकाने के मामले में कार्रवाई
 

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा चंदौली जिले के मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया गया है । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट तथ्यों की जानकारी होने के आधार पर एफआईआर दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकते हैं।
 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश

 चंदौली जिले के मजिस्ट्रेट के आदेश को किया रद्द

1 महीने के अंदर कानून के अनुसार नया आदेश पारित करने का दिया निर्देश

जानिए क्या है पूरा मामला

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा चंदौली जिले के मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया गया है । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट तथ्यों की जानकारी होने के आधार पर एफआईआर दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकते हैं। यह टिप्पणी कर कोर्ट ने चंदौली के मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर कहा कि एक महीने में कानून के अनुसार नया आदेश पारित करें। 

आपको बता दें कि मजिस्ट्रेट ने आवेदन को शिकायत के रूप में दर्ज करते हुए कहा था कि तथ्य आवेदक की जानकारी में है। इसलिए एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की जरूरत नहीं। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की अदालत ने मुकेश खरवार की अर्जी पर दिया है। चंदौली पपौरा विकास खंड चहनिया से बीडीसी सदस्य मुकेश खरवार ने 156 (3) के तहत आवेदन दायर किया था। 

आरोप लगाया था कि चार फरवरी 2024 को 66 क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ अरुण जायसवाल ब्लॉक प्रमुख चहनिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए डीएम कार्यालय पर एकत्र हुए थे। इससे नाराज होकर ग्रामीण गोपाल सिंह उर्फ बबलू, मोनू सिंह उसके गांव पहुंचे। वहां ब्लॉक प्रमुख के पक्ष में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। इन्कार करने पर गालीगलौज, जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मारपीट की। 

इस संबंध में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो 156 (3) के तहत आवेदन दायर किया। संबंधित मजिस्ट्रेट ने आवेदन को कंप्लेन की तरह दर्ज किया। साथ ही एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी करने की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया।


आवेदक ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता, अभियोजन शुरू करने के लिए साक्ष्य की आवश्यकता और न्याय के हित में 156 (3) के तहत आदेश पारित करते समय विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने आवेदन स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया।