नई पहल की टेस्टिंग : वाराणसी-डीडीयू रूट पर ऑटोमैटिक सिग्नल से चलेंगी ट्रेनें

नए सिस्टम से लाइन की क्षमता बढ़ेगी और दो स्टेशनों के बीच एक साथ कई ट्रेनें गुजारी जा सकेंगी। उत्तर रेलवे (लखनऊ मंडल) ने इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।
 

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में यार्ड-आउटर पर अभी लगे हैं संकेतक

टेंडर प्रक्रिया शुरू

नवंबर 2025 तक शुरू हो सकेगा ऑटोमैटिक सिस्टम से परिचालन

वाराणसी - पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) रूट पर नवंबर- 2025 से ऑटोमैटिक सिग्नल से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। प्रत्येक किलोमीटर पर लगने वाले सिग्नलों को ऑपरेट करने के लिए पॉवर केबिन की तरह ऑटोमैटिक सिग्नलिंग बिल्डिगें बनेंगी। जिसमें अत्याधुनिक स्वचालित उपकरण लगेंगे।

आपको बता दें कि खास बात यह है कि इन भवनों में कर्मचारी नहीं होंगे। नए सिस्टम से लाइन की क्षमता बढ़ेगी और दो स्टेशनों के बीच एक साथ कई ट्रेनें गुजारी जा सकेंगी। उत्तर रेलवे (लखनऊ मंडल) ने इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।

बताते चलें कि वाराणसी-डीडीयू रूट पर कैंट, काशी, व्यासनगर, ब्लॉक हट बी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन स्टेशन हैं। अभी इस खंड पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग तकनीक से ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जिसमें स्टेशनों के यार्ड में स्टार्टर, इंटरमीडिएट स्टार्टर, एडवांस, होम और आउटर सिग्नल होते हैं। एक स्टेशन के आउटर से दूसरे आउटर के बीच कोई सिग्नल नहीं होता है। जिससे एक स्टेशन से गाड़ी के प्रस्थान करने के बाद जब तक वह अगले स्टेशन पर नहीं पहुंच जाती, तब तक पीछे की ट्रेन नहीं चलती। इसका असर ट्रेनों की समयबद्धता पर पड़ता है। पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन-हावड़ा रूट की तर्ज पर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम शुरू होने पर यह व्यवस्था बदल जाएगी।