अब जिला अस्पताल से हटाया गया मेडिकल कॉलेज का बोर्ड, नाम में अभी भी कंफ्यूजन
अब शासनादेश के बहाने टालने की हो रही है कोशिश
चुनाव में मुद्दा बनने से बचाने की पहल
चंदौली समाचार की खबर के बाद हटाया गया बोर्ड
जानिए पूरी कहानी
चंदौली जनपद में बन रहे बाबा कीनाराम मेडिकल कॉलेज की स्थिति को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के नोडल और प्रभारी अधिकारी कंफ्यूजन में है। कभी इस राजकीय मेडिकल कॉलेज बताया जाता है तो कभी स्वायत्तशाषी चिकित्सा महाविद्यालय कहकर संबोधित किया जाता है। इतना ही नहीं इसके लिए पहले नौबतपुर में बना रहे बाबा कीनाराम मेडिकल कॉलेज के मुख्य गेट पर बाबा कीनाराम में राजकीय मेडिकल कॉलेज लिखकर प्रचारित प्रसारित किया जाता है, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही इसका नाम गलत होने की बात कह कर उसे मिटा दिया गया।
अभी एक बार फिर से 17 मार्च 2024 को चंदौली जिला मुख्यालय पर स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला संयुक्त चिकित्सालय में बाबा कीनाराम स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय चंदौली का बोर्ड लगा दिया गया और पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला संयुक्त चिकित्सालय को इससे संबद्ध कर दिया गया। लेकिन जैसे ही इस खबर को चंदौली समाचार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया तो तत्काल आनन-फानन में इस बोर्ड को जिला के मुख्य चिकित्साधिकारी और जिला चिकित्सालय के सीएमएस के निर्देश के बाद इसे वहां से हटा लिया गया।
अब संबंधित अधिकारी इस बात की दलील दे रहे हैं कि अभी चंदौली जिले के मेडिकल कॉलेज को लेकर कोई स्थिति क्लियर नहीं है। जैसा शासन से निर्देश आएगा, उसी तरह इसका नामकरण किया जाएगा।
आपको बता दें कि 2 साल पहले जून के महीने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंदौली मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास राजकीय मेडिकल कॉलेज के रूप में किया था और मंच से इसका नाम बाबा कीनाराम के नाम पर रखने का ऐलान भी किया था, लेकिन उसके बाद बदली परिस्थितियों में न जाने कैसे इसको राजकीय मेडिकल कॉलेज से स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इसको लेकर विरोधी राजनीतिक दल बार-बार सरकार की मंशा और नीयत पर सवाल उठा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इसको लेकर जिलाधिकारी भी असमंजस की स्थिति में हैं और कुछ भी साफ तौर पर बताने से इनकार करते रहे हैं। वहीं चंदौली जिले के सांसद और मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय इसे स्वायत्तशाषी बता चुके हैं। ऐसे में अधिकारियों के द्वारा इस तरह की बात कहना कहीं ना कहीं सांसद की और कैबिनेट मंत्री की बात को गलत साबित करने की कोशिश है।
जिले में ऐसी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव को देखते हुए इसके नामकरण व राजकीय व स्वायत्तशाषी होने के मामले को ठंडे बस्ते में डाला जा रहा है, ताकि विरोधी दल के लोगों को राजकीय और स्वशासी मेडिकल कॉलेज का मुद्दा उठाने का मौका न मिले।
अब देखना यह है कि विरोधी दल के लोग इसे किस रूप में देखते हैं और कैसे सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं। वहीं भाजपा नेता इस साल इसमें पढ़ायी शुरू होने की दलील दे रहे थे, लेकिन अभी तक इसका उद्घाटन भी नहीं हो पाया है।