मुगलसराय की भोगवारे CHC को PPP मोड में चलाने की योजना, अस्पताल में बढ़ेंगी ये सुविधाएं
 

भोंगवार सीएचसी में वर्तमान में 30 बेड की व्यवस्था है, जिसमें छह चिकित्सक और 17 स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं। यहां 24 घंटे सेवा उपलब्ध है और लखनऊ से ऑनलाइन परामर्श की सुविधा भी दी जाती है।
 

पूर्वांचल के 4 सीएचसी होंगे अत्याधुनिक

पीपीपी मॉडल से सुधरेगी स्वास्थ्य सेवाएं

बेड की संख्या और सेवाओं में विस्तार करने का बन गया है पूरा प्लान

पूर्वांचल के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। चंदौली, सोनभद्र, बलिया और वाराणसी जिलों के चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बेहतर इलाज उपलब्ध कराना है, जिससे मरीजों को बड़े शहरों की ओर रुख न करना पड़े।

भोंगवार सीएचसी को मिलेगी नई पहचान
चंदौली जिले के मुगलसराय क्षेत्र में स्थित भोंगवार सीएचसी को अपग्रेड करने की योजना बनाई गई है। लगभग 10 एकड़ में फैले इस अस्पताल में पहले से ही टेलीमेडिसिन, भर्ती और जांच की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अब इसे और उन्नत बनाया जाएगा, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति, गंभीर बीमारियों का इलाज, ऑपरेशन थिएटर, ब्लड बैंक और ऑक्सीजन पाइपलाइन जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इससे मरीजों को वाराणसी या अन्य शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

अन्य जिलों में भी बदलाव
प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले में एक सीएचसी को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत सोनभद्र जिले का चपकी, बलिया का सुखपुरा और वाराणसी का गजकीसर सीएचसी भी अत्याधुनिक बनाए जाएंगे। इन केंद्रों में आधुनिक मशीनों, प्रशिक्षित स्टाफ और विस्तृत जांच सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।

बेड की संख्या और सेवाओं में विस्तार
भोंगवार सीएचसी में वर्तमान में 30 बेड की व्यवस्था है, जिसमें छह चिकित्सक और 17 स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं। यहां 24 घंटे सेवा उपलब्ध है और लखनऊ से ऑनलाइन परामर्श की सुविधा भी दी जाती है। ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता 346 एलपीएम है। फिलहाल यहां हेमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, थायराइड, एचआईवी, एचबीएसएजी, बीडीआरएल, सीडी-4 सहित लगभग 20 रोगों की जांच की जा रही है।

अपग्रेडेशन के बाद इन सुविधाओं में और वृद्धि की जाएगी। बेड की संख्या को 15 से बढ़ाकर 30 किया जाएगा, जिससे भर्ती की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। साथ ही, जांच और इलाज की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

पीपीपी मॉडल का लाभ
पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी से संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा। इससे न केवल तकनीकी उन्नयन होगा, बल्कि मरीजों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण इलाज भी मिल सकेगा। यह मॉडल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और प्रभावी बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।

पूर्वांचल के इन चार जिलों में स्वास्थ्य केंद्रों का यह विकास न केवल स्थानीय निवासियों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को भी मजबूती देगा।